Jharkhand Naxalism: गुमला जिले में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में 3 नक्सली ढेर

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Jharkhand Naxalism: गुमला जिले में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में 3 नक्सली ढेर

Encounter With Naxalites In Jharkhand, (आज समाज), रांची: झारखंड के गुमला जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए। पुलिस अधिकारियों बताया कि सीपीआई (माओवादी) से अलग हुए झारखंड जन मुक्ति परिषद (JJMP) के सदस्य घाघरा के जंगल (Ghaghra forests) में एकत्रित होने की मिली खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों ने आज सुबह तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान हुई मुठभेड़ में 3 नक्सली ढेर कर दिए गए।

जेजेएमपी के सदस्य थे मारे गए उग्रवादी

झारखंड पुलिस के महानिरीक्षक (संचालन) माइकल एस राज ने अभियान की पुष्टि की और कहा कि मारे गए उग्रवादी प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से अलग हुए समूह जेजेएमपी के सदस्य थे। उन्होंने कहा, तलाशी अभियान समाप्त होने पर अधिक जानकारी दी जाएगी। पुलिस ने बताया कि नक्सली सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बना रहे थे।

टीम करीब पहुंची तो नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू की 

झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों सहित सुरक्षा बलों ने सशस्त्र उग्रवादियों की गतिविधि के बारे में खुफिया जानकारी के आधार पर संयुक्त कार्रवाई करते हुए हमले को अंजाम देने से पहले ही उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। अधिकारियों के अनुसार जैसे ही टीम करीब पहुंची, नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इसके बाद काफी देर तक गोलीबारी हुई। सुरक्षा बलों की ओर से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

बोकारो में भीषण गोलीबारी के 10 दिन बाद हुई मुठभेड़

ताजा मुठभेड़ बोकारो जिले में एक और भीषण गोलीबारी के ठीक 10 दिन बाद हुई है। अधिकारियों ने बताया कि 16 जुलाई को, गोमिया थाना क्षेत्र के बिरहोदेरा जंगल में एक अभियान के दौरान 5 लाख का एक ईनामी माओवादी मारा गया था। इस दौरान एक सीआरपीएफ जवान भी शहीद हो गया। दुखद बात यह है कि एक नागरिक, जिसे शुरू में माओवादी समझ लिया गया था, भी गोलीबारी में मारा गया।

मुठभेड़ ने नक्सली हिंसा के निरंतर खतरों को उजागर किया

बोकारो मुठभेड़ ने झारखंड में नक्सली हिंसा के निरंतर खतरों को उजागर किया है, जो वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है। बोकारो अभियान में मारे गए माओवादी की पहचान एक वरिष्ठ माओवादी के रूप में हुई थी, और उसकी मौत को इस क्षेत्र में सक्रिय विद्रोही संगठन के लिए एक झटका माना गया।

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