India’s GDP Growth Rate : घरेलू खपत से मिल रही भारत की विकास दर को गति : क्रिसिल

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India's GDP Growth Rate : घरेलू खपत से मिल रही भारत की विकास दर को गति : क्रिसिल
India's GDP Growth Rate : घरेलू खपत से मिल रही भारत की विकास दर को गति : क्रिसिल

कहा, तेजी से बढ़ेगी भारत की अर्थव्यवस्था, 7 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर

India’s GDP Growth Rate  (आज समाज), बिजनेस डेस्क : विपरीत परिस्थितियों में भी भारत ेने विश्व के सामने मिसाल पेश करते हुए तेजी से उभर रही अर्थव्यवस्थाओं में अव्वल स्थान हासिल किया है। अमेरिकी टैरिफ के बाद भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के बारे में सभी आंकड़ों को झुठलाते हुए भारत ने तेजी से विकास किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा अब सभी प्रमुख अंतरराष्टÑीय रेटिंग एजेंसियां मान रही हैं। इन्हीं में से एक है क्रिसिल रेटिंग एजेंसी। इसने भी भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2026 में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना जताई है।

ताजा जारी रिपोर्ट में यह बताया

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश ने पहली छमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज की है। इसके बाद एजेंसी ने अपने अनुमानों को 50 आधार अंकों तक बढ़ा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू खपत से विकास को गति मिलने की संभावना है, जिसे कम मुद्रास्फीति, जीएसटी सुधार और आयकर राहत का समर्थन प्राप्त होगा। हालांकि, इसमें चेतावनी दी गई है कि अमेरिकी टैरिफ भारत के निर्यात और निवेश के लिए जोखिम पैदा करते हैं। साथ ही अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर नजर रखी जा सकती है।

जीडीपी दर दूसरी तिमाही में बढ़कर 8.2 प्रतिशत

वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पिछले वर्ष की तुलना में 7.8 प्रतिशत से बढ़कर छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह वृद्धि मजबूत उपभोग और सितंबर 2025 में जीएसटी सुधार के कारण हुई। हालांकि, नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत हो गई।सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने पूरे वर्ष के लिए अपने जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है, जो आधा प्रतिशत अंक की वृद्धि है।

खाद्य मुद्रा स्फीती नियंत्रण में रहने की उम्मीद

मुद्रास्फीति के मोर्चे पर, क्रिसिल को उम्मीद है कि खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2025 में 4.6 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2026 में 2.5 प्रतिशत हो जाएगी। क्रिसिल ने कहा कि स्वस्थ कृषि विकास, अनुकूल वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें और जीएसटी दर में कटौती के लाभों से इस वित्तीय वर्ष में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की उम्मीद है।

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