Indo-Pacific Security पर भारत-अमेरिका एक, दोनों देश बढ़ाएंगे संयुक्त अभ्यास

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Indo-Pacific Security
Indo-Pacific Security : भारत-अमेरिका हिंद-प्रशांत सुरक्षा पर एक, दोनों देशों के बीच और बढ़ेंगे संयुक्त अभ्यास
  • नौसैनिक सहयोग को और मजबूत करने पर भी सहमति 

India-US On Indo-Pacific Security, (आज समाज), नई दिल्ली: भारत और अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को गंभीरता से लिया है और इस समस्या से निपटने के लिए दोनों पक्षों ने अपसी नौसैनिक सहयोग पर जोर दिया है। बता दें कि भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी अमेरिका के पांच दिवसीय दौरे पर गए थे और उन्होंने वहां शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ बातचीत की है। दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हुई है और इस दौरान उन्होंने समुद्री सुरक्षा के मामले में उन्नत तकनीक के इस्तेमाल व अन्य मसलों पर भी साझेदारी को नए स्तर पर ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई है।

कई बड़े अधिकारियों से मिले एडमिरल त्रिपाठी 

एडमिरल त्रिपाठी की अमेरिका के जिन बड़े अधिकारियों के साथ बातचीत हुई उनमें यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड के प्रमुख एडमिरल सैमुअल जे पापारो, यूएस मरीन फोर्सेज पैसिफिक के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेम्स एफ. ग्लिन और यूएस पैसिफिक फ्लीट कमांडर एडमिरल स्टीफन टी. कोहलर शामिल हैं। मुलाकातों के दौरान दोनों ओर से समुद्री क्षेत्र में बन रही रही चुनौतियों, संचालनात्मक तालमेल व इंटरआॅपरेबिलिटी बढ़ाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई।

समुद्री डोमेन जागरूकता को और बेहतर बनाने पर

भारत व अमेरिका के बीच बैठकों के दौरान जानकारी-साझाकरण व समुद्री डोमेन जागरूकता को और अच्छा बनाने पर भी अहम चर्चा हुई। दोनों देश इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस पहल को भारत के इन्फॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओशन रीजन (आईएफसी-आईओआर) से ज्यादा प्रभावी ढंग से जोड़ने पर रजामंद हुए। साथ ही उन्होंने समुद्री व्यापार मार्गों व अन्य महत्वपूर्ण अंडरसी इन्फ्रास्ट्रक्चर की सेफ्टी को मजबूत करने की जरूरत पर भी बल दिया।

इन अभियानों में भी सहयोग बढ़ाने पर जोर

एडमिरल त्रिपाठी के साथ मुलाकातों में आपदा राहत, मानवीय मदद, खोज एवं बचाव तथा एंटी-पायरेसी अभियानों में भी सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमति हुए कि मालाबार, पासेक्स, मिलन व कम्बाइंड मैरीटाइम फोर्सेज जैसी संयुक्त सैन्य एक्सरसाइज और अधिक किए जाएंगे, ताकि लॉजिस्टिक समन्वय व संयुक्त युद्धक क्षमता और मजदूत हो सके।

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