Independence Day: भारत में ऐसे भी स्थान जहां 18 अगस्त को मनाया जाता है स्वाधीनता दिवस

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शिवनिवास की चुरनी नदी में जारी नौका दौड़ इन दिनों 18 अगस्त के 'स्वतंत्रता दिवस' समारोह का मुख्य आकर्षण बनी हुई है।

Independence Day On 18th August, (आज समाज), नई दिल्ली: हर वर्ष की तरह इस बार भी देशभर में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (स्वाधीनता दिवस) हर्षोल्लास से मनाया गया। लेकिन देश में कुछ जगहें ऐसी भी हैं जहां 18 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल में कुछ ऐसे स्थान हैं जहां सोमवार यानि 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। इसकी वजह देश के विभाजन के दौरान हुई एक गलती है।

इलाके में मौजूद कई शिव मंदिरों के कारण पड़ा है गांव का नाम शिबनिवास।

बंगाल की राजधानी कोलकाता से कोई 120 किमी दूर

नदिया जिले (Nadia district) में चुरनी नदी के किनारे बसे शिबनिवास (Shibnibas) गांव में हर साल 18 अगस्त को स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और उसी दिन तिरंगा फहराया जाता है। बांग्लादेश से सटे शिबनिवास में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में वहां के लोगों के अलावा सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान भी शामिल होते हैं। इन दिनों इस समारोह के लिए रिहर्सल चल रही है। बता दें कि शिबनिवास बंगाल की राजधानी कोलकाता से कोई 120 किमी दूर स्थित है।

इन परिस्थितियों के चलते 18 अगस्त को मनता है दिवस

दरअसल,1947 में देश के बंटवारे से पहले पश्चिम बंगाल और पंजाब की सीमा के निर्धारण का जिम्मेदारी रेडक्लिफ आयोग ( Radcliffe Commission) को दी गई थी। तब रेडक्लिफ आयोग ने मुर्शिदाबाद और नदिया जिले के बड़े हिस्से को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में मिला दिया था जबकि जेसोर व खुलना जैसी जगहें भारत का हिस्सा बना दी गई थीं। पर मुर्शिदाबाद व नदिया जिलों को जब इसकी सूचना मिली तो इसके विरोध में बड़े पैमाने पर बवाल हुआ। वो इसलिए क्योंकि वहां के बाशिंदे भारत में रहना चाहते थे।

गलती सुधारने में लग गए थे 3 दिन

लोगों के विरोध को देखते हुए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने वायसराय लार्ड माउंटबेटन को इसकी सूचना दी। इसके बाद गलती सुधारने का निर्देश दिया गया और इसमें 3 दिन लग गए। इस बीच मुस्लिम लीग ने इन इलाकों में पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया और आखिर 17 अगस्त की शाम को आल इंडिया रेडियो पर उक्त गलती को सुधारने व इन जिलों की अदला-बदली का ऐलान किया। उसके बाद शिबनिवास वासियों ने अगले दिन मतलब 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया। हालांकि बाद में यह घटना गुम सी हो गई थी।

स्थानीय इतिहासकार अंजन सुकुल की भूमिका अहम

लगभग 44 साल के बाद 1991 में स्थानीय इतिहासकार अंजन सुकुल ने इस पर खोज शुरू की और फिर 18 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। सुकुल के मुताबिक उन्हें उनके दादा क्रांतिकारी प्रमथ नाथ सुकुल ने बताया था कि यहां के बाशिंदों को असल में 18 अगस्त को आजादी मिली थी। इस पर उन्होंने विचार किया कि अगर स्वतंत्रता 18 अगस्त को मिली तो उसी दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रयास शुरू किया।

सूचवा एंव प्रसारण मंत्रालय ने दी थी इजाजत

सुकुल को इस बारे में एक लाइब्रेरी से नदियार स्वाधीनता (नदिया की स्वाधीनता) नाम से एक पुरानी किताब मिली। इसके बाद उन्होंने 18 अगस्त को स्वाधीनता समारोह की अनुमति देने के मकसद से राज्य सरकार से मुलाकात की। पर तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने इसकी इजाजत देने से उन्हें इनकार कर दिया। सुकुल ने इसके बाद प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव से संपर्क किया। फिर सूचवा एंव प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें 18 अगस्त को स्वाधीनता दिवस मनाने व तिरंगा फहराने की इजाजत दे दी।

रेडक्लिफ आयोग के बंटवारे में हुई गलतियों का अंजाम 

इतिहासकार सुकोमल दत्त के मुताबिक नदिया के अलावा मालदा, दिनाजपुर और उत्तर 24 परगना का भी एक बड़ा हिस्सा 14 से 16 अगस्त तक पाकिस्तान का हिस्सा रहे थे। इसके अलावा जलपाईगुड़ी जिले के कुछ इलाके पूर्वी पाकिस्तान में शामिल कर दिए गए थे। रेडक्लिफ आयोग के बंटवारे में हुई गलतियों से ही इन जिलों में अब भी कुछ गांवों का आधा हिस्सा भारत में है और आधा बांग्लादेश में है।

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