Gajendra Singh Shekhawat: संविधान भारत की ‘अदृश्य आत्मा’, तोड़ मरोड़ कर किए गए कार्य में अब पुनर्लेखन की आवश्यकता 

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Gajendra Singh Shekhawat: संविधान भारत की 'अदृश्य आत्मा', तोड़ मरोड़ कर किए गए कार्य में अब पुनर्लेखन की आवश्यकता
Gajendra Singh Shekhawat: संविधान भारत की 'अदृश्य आत्मा', तोड़ मरोड़ कर किए गए कार्य में अब पुनर्लेखन की आवश्यकता
  • अंग्रेजों के द्वारा करीब डेढ़ सौ साल तक भारत के ऊपर आक्रमण करने का इतना नुकसान नहीं हुआ जितना आजादी के वर्ष 1947 के 60 और 65 वर्षों के बाद हुआ
  • शाश्वत शक्ति का नाम है भारत, दूषित मन से तोड़ मरोड़ कर भारत को नुकसान करने की मंशा रखने वाले लोगों ने हमेशा भारत का किया नुकसान
  • आज भारत फिर से रच रहा है अपना इतिहास और संस्कृति

Gajendra Singh Shekhawat, (आज समाज), पानीपत: अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के द्वारा भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान के माधव सेवा न्यास केंद्र पट्टीकल्याणा समालखा पर आयोजित किए गए तीन दिवसीय अधिवेशन के अवसर भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान विषय पर सेमिनार में भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि संविधान भारत की अदृश्य आत्मा है, दूषित मानसिकता से तोड़ मरोड़ कर किए गए कार्य में अब पुनर्लेखन की आवश्यकता है। भारत तलवारों और आक्रमणों के बावजूद भी संस्कृति का भंडार बना रहा। उन्होंने कहा कि शाश्वत शक्ति भारत का इतिहास है।

60 से 65 सालों में बिगड़ते कर्म में भारत को नुकसान हुआ

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने करीब डेढ़ सौ साल तक भारत के ऊपर आक्रमण किया लेकिन उसे आक्रमण से ज्यादा वर्ष 1947 यानि आजादी के बाद जिस तरह से 60 से 65 सालों में बिगड़ते कर्म में भारत को नुकसान हुआ उसको पुर्नजागृत करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से भारत की विभिन्न नदियां एक जगह मिलकर अलग अनुभूति का आधा आभास करती हैं इसलिए आज भारत के कोने कोने में सभी लोग नदियों के मिलन की तरह आपस में इस मिलन और प्यार के मिलन की अनुभूति को महसूस कर रहे हैं।

भारतीय इतिहास चेतना का महासागर

इसलिए हम सब की जिम्मेवारी बनती है कि हम परिवर्तन के इस कलकारण में अपनी जिम्मेवारी समझे क्योंकि आदर्श भारत हम सबके हृदय में विराजमान है।मंत्री शेखावत ने कहा कि आज से 50 वर्ष पूर्व इस बात की कल्पना करना भी नामुमकिन था कि आज भारत राष्ट्रीय पुर्नजागरण के एक ऐसे दौर से गुजरेगा, जब इतिहास भारतीय संस्कृति पर आधारित होगा। हम कौन है  इस प्रश्न से भारतीय इतिहास को जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास चेतना का महासागर है और यह जीता जागता प्रवाह है।

संविधान को समझने के लिए भारत एवं उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक

शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के आई.सी.एच आर. के अध्यक्ष प्रो. राघुवेंद्र तंवर ने कहा कि “संविधान को समझने के लिए भारत एवं उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विभाजन ने भारतीय समाज को तोड़ दिया। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के मुख्य संरक्षक गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि “हजारों वर्षों के आक्रमण से इतिहास तितर-बितर हो गया है। किंतु इतिहास संकलन के प्रयास से इसे पुर्नलेखन के माध्यम से इक्कठा करने का प्रयास किया जा रहा है, यह प्रयास सराहनीय है। इस सभागार में पूरे देश भर से 1500 के आसपास इतिहासकार आए हुए है, जिसमें प्रथम दिन 120 पत्रों का वाचन किया गया।

आगामी दो दिनों में करीब 230 षोध-पत्रों का वाचन किया जाएगा

आगामी दो दिनों में करीब 230 षोध-पत्रों का वाचन किया जाएगा। राष्ट्रीय महाधिवेशन की अध्यक्षता करने वाले और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान को भारतीय संस्कृति से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। इस कार्यक्रम में विशेषता यह रही कि कार्यक्रम के मुख्य द्वार पर हरियाणा की काफी महिलाएं घाघरी, कुर्ता और चुनरी पहनकर लोगों का स्वागत कर रही थी जो विशेष तौर से हरियाणवी झलक की आकर्षण का केंद्र बनी रही।

विभिन्न विकल्पों के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे

इस अवसर पर मुख्य रूप से माननीय सह-सरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सुरेश सोनी, उत्तर क्षेत्र संघचालक पवन जिंदल, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, विधायक प्रमोद विज, विधायक समालखा मनमोहन भड़ाना, प्रांत संघचालक प्रताप सिंह, प्रांत प्रचारक डॉ. सुरेन्दर पाल, प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश, सह प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ. लक्ष्मी नारायण के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उनके विभिन्न विकल्पों के पदाधिकारी और सदस्य उपस्थित थे।

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