इनेलो में जाने क लगाए जा रहे कयास
Former Finance Minister Sampat Singh, (आज समाज), चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल, प्रभारी हरियाणा बीके हरिप्रसाद और प्रदेश अध्यक्ष राव नरेंद्र को भी भेज दिया है। संपत सिंह ने इस्तीफे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का एक भी बार नाम नहीं लिया। जबकि वह हुड्डा के करीबी माने जाते थे। चर्चा है कि अब उनका मोह इनेलो की ओर बढ़ा है। संपत सिंह ने 48 साल पहले देवीलाल का हाथ पकड़कर राजनीति की शुरूआत की थी। अटकलें हैं कि संपत सिंह इंडियन नेशनल लोकदल में शामिल हो सकते हैं। वह 25 सितंबर को रोहतक में इनेलो की रैली में शामिल हुए थे।
इस्तीफे में सांसद कुमारी सैलजा की तारीफ की
संपत सिंह ने इस्तीफे में सांसद कुमारी सैलजा की जमकर तारीफ की और उन्हें भी पार्टी के अंदर प्रताड़ित बताया। इसके अलावा पार्टी छोड़ने वाले नेताओं और उनके कारण कांग्रेस को नुकसान के बारे में भी उल्लेख किया और इसके पीछे इशारों-इशारों में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कारण बताया।
लिखा-वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व में मेरा विश्वास समाप्त हो गया
इन परिस्थितियों में मुझे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की उस क्षमता पर विश्वास नहीं रहा कि वह हरियाणा की जनता के हितों का प्रतिनिधित्व कर सकती है। मैं एक गर्वित हरियाणवी हूं, और अपने प्रदेश की जनता को निराश नहीं कर सकता। हरियाणा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता अटूट है, परंतु वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व में मेरा विश्वास समाप्त हो गया है। अत: मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना त्यागपत्र देने के लिए विवश हूं।
भट्टू से जीता पहला चुनाव
संपत सिंह ने बताया कि 1977 में मैं जब जाट कॉलेज हिसार में प्रोफेसर था तो ताऊ देवीलाल की नजर मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे राजनीति में आने का आॅफर दिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद मैं देवीलाल के साथ राजनीति में गया। देवीलाल ने मुझे फतेहाबाद की भट्टू विधानसभा से चुनाव लड़ाया था। वह मेरे राजनीतिक गुरु हैं। संपत सिंह 6 बार विधायक रहे हैं।
1987 और 1999 में रहे वित्तमंत्री
संपत सिंह 1987 में ताऊ देवीलाल के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में वित्तमंत्री रहे। उनके पास उद्योग, आबकारी एवं कराधान, नगर एवं ग्राम नियोजन, गृह, स्थानीय निकाय, जेल, जनसंपर्क, सिंचाई एवं विद्युत, वित्त, संसदीय मामले एवं योजना मंत्री का कार्यभार था। इसके बाद 1999 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली सरकार में भी वह वित्त मंत्री रहे।
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