पहाड़ों से लेकर मैदानों तक पानी ही पानी, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में फटे बादल तो हरियाणा में यमुना, पंजाब में सतलुज ब्यास ने मचाई तबाही
Flood in North India (आज समाज), नई दिल्ली, चंडीगढ़ : इस साल मानसून का सीजन उत्तर भारत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। मानसून की सक्रियता इतनी ज्यादा है कि एक तरफ जहां मैदानों में मुसलाधार बारिश हो रही है तो वहीं पहाड़ों में बादल फटने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। पिछले 24 घंटे की बात करें तो हिमाचल प्रदेश और जम्मू में कई जगह बादल फटने से बाढ़ की स्थिति बन गई। वहीं पहाड़ों से बहता मलबा जानलेवा भी साबित हो रहा है।
रविवार को हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के साथ बादल फटने की घटना सामने आई इससे नदी-नालों में पानी का स्तर एकदम से बढ़ गया। एक तरफ जहां बिलासपुर में जलती चिता पानी में बह गई। वहीं रविवार सुबह 4 बजे कुल्लू के शालानाला में बादल फट गया। इससे मलाणा डैम भी क्षतिग्रस्त हो गया। 10 से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ। प्रदेश में इस मानसून सीजन में अब तक 261 लोगों की जान चली गई है। इनमें 35 लोगों की जान बाढ़, बादल फटने और लैंडस्लाइड से गई है, जबकि 36 लोग लापता है। अब तक सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को 2144 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
जम्मू-कश्मीर में तीन दिन में दो बार फटे बादल

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना के घाव अभी भरे नहीं हैं और इस बीच ऐसी एक और घटना ने कहर बरपाया है। अब जम्मू के कठुआ में बादल फटने की घटना से तबाही मची है। इसमें चार लोगों की मौत हो गई है और कई जख्मी बताए गए हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार कठुआ स्थित गुज्जरों की बस्ती में बादल फटने की घटना शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात को हुई है। शुरूआती रिपोर्टों में यह भी बताया जा रहा है कि जंगलोट के एक गांव में बादल फटने की घटना हुई है।
बाढ़ की जद में आए पंजाब, हरियाणा वहीं दिल्ली को खतरा

हिमाचल में जारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं से पंजाब के करीब आधा दर्जन जिलों के दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। ऐसा ही हाल हरियाणा का भी है। यहां भी यमुना और इसकी सहायक नदियों से सटे कई जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। खासकर यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और सोनीपत के दर्जनों गांवों में हजारों एकड़ फसलें बाढ़ के पानी की चपेट में आ चुकी हैं। यही नहीं यमुना का जल स्तर बढ़ने के चलते दिल्ली में भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
हथनीकुंड बैराज के सभी गेट खोले गए

हिमाचल और उत्तराखंड में हो रही बारिश की वजह से रविवार शाम 4 बजे हथिनी कुंड बैराज पर यमुना नदी का जलस्तर 1 लाख 78 हजार 996 क्यूसेक तक पहुंच गया। इस मानसून सीजन यह पहला मौका है, जब यमुना का वाटर लेवल एक लाख क्यूसेक पार पहुंचा है। हालांकि, शाम छह बजे जलस्तर घट गया। तब हथिनी कुंड बैराज पर नदी का जलस्तर 1 लाख 19 हजार क्यूसेक दर्ज हुआ। पहाड़ों से बहुत ज्यादा पानी आने के कारण हथिनी कुंड बैराज से निकलने वाली ईस्ट और वेस्ट यमुना लिंक नहरों को बंद कर दिया गया था और सारा पानी यमुना नदी में रिलीज किया गया।
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