
MP Kartikeya Sharma Article | कार्तिकेय शर्मा, सांसद, राज्यसभा | सदियों से भारतीय सभ्यता ने स्त्री शक्ति को न सिर्फ महसूस किया है बल्कि सम्मानित भी किया है। हम सदैव दुर्गा से उनकी शक्ति, लक्ष्मी से उनकी समृद्धि और सरस्वती से उनकी बुद्धि के लिए नमन करते हैं। ऐसा करते हुए हम यह स्वीकारते हैं कि स्त्रीत्व स्वयं इन गुणों का जीवंत अवतार है। यह श्रद्धा केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सभ्यतागत सोच है, जो हमें महिलाओं के मूल्यों, गरिमा और उनके केंद्रीय स्थान का स्मरण कराती है।
महिलाएं प्रगति की वास्तुकार, मानव क्षमता की पोषक

हमारी सांस्कृतिक सोच सिखाती है कि महिलाएं केवल आधी आबादी नहीं, बल्कि प्रगति की वास्तुकार, मानव क्षमता की पोषक और पीढ़ियों की बुद्धि की संरक्षक हैं। यही सोच भारत को एक अनुपम स्थान देती है, ताकि हम आधुनिक समय की सबसे बड़ी चुनौती का समाधान कर सकें। उन महिलाओं को सक्रिय और गरिमामय स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना, जो इन दिव्य सिद्धांतों की प्रतिनिधि हैं। इसी क्रम में नमो शक्ति रथ महिलाओं के उत्तम स्वास्थ्य के लिए किसी क्रांति से कम नहीं है।
स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान की नींव

आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर आठ मिनट में एक महिला गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से अपनी जान गंवा देती है, जबकि स्तन कैंसर से पीड़ित आधी महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। लेकिन इन दुखद आंकड़ों के पीछे एक और कड़ी सच्चाई छिपी है, केवल 1.9 प्रतिशत महिलाओं ने ही गर्भाशय ग्रीवा कैंसर की जांच करवाई है और मात्र 0.9 प्रतिशत महिलाओं ने स्तन कैंसर की जांच करवाई है। ये आंकड़े न सिर्फ खतरे की गंभीरता को दर्शाते हैं, बल्कि यदि जागरूकता फैलाई जाए और सामुदायिक प्रयासों को संगठित स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के साथ एकीकृत किया जाए तो बदलाव की अपार संभावनाएं हैं। यही मान्यता कि महिलाओं का स्वास्थ्य राष्ट्र की शक्ति से अटूट रूप से जुड़ा है। स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान की नींव है।
मध्य प्रदेश के धार से की अभियान शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 75वें जन्मदिन के अवसर पर 17 सितंबर 2025 को मध्य प्रदेश के धार से स्वस्थ्य नारी सशक्त परिवार अभियान की शुरुआत कर अपने दृष्टिकोण को सबसे महत्वाकांक्षी रूप दिया। उनका संबोधन मात्र नीति की घोषणा नहीं थी, बल्कि वह स्वास्थ्य समानता का दर्शन था, जिसमें महिलाओं को राष्ट्रीय प्रगति के केंद्र में रखा गया। उन्होंने देश को याद दिलाया कि जब मां स्वस्थ रहती है, तो पूरा परिवार स्वस्थ रहता है और महिलाओं को रक्ताल्पता, मधुमेह, टीबी, कैंसर जैसी मौन बीमारियों के प्रति सचेत किया। उन्होंने महिलाओं से नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों में बिना हिचकिचाहट भाग लेने का आग्रह किया।
विधायिकाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण
उनका निवेदन था कि एक बेटा, एक भाई होने के नाते, इतना तो मांग सकता हूं। यह प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता दर्शाता है, जो उन्होंने हमेशा नारी शक्ति को मजबूत करने में दिखाई है। यह प्रतिबद्धता उनकी नेतृत्व शैली को परिभाषित करती है। विधायिकाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने से लेकर, मिशन शक्ति द्वारा जमीनी स्तर पर महिलाओं को सशक्त करने तक, मातृ वंदना योजना के जरिए स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने तक का बड़ा उदाहरण है। हर सुधार में उनका विश्वास झलकता है कि महिलाएं केवल सहभागी ही नहीं, बल्कि विकसित भारत की रीढ़ हैं। मोदी जी का दृष्टिकोण विशिष्ट है क्योंकि वह सशक्तिकरण को वास्तविक बनाते हैं, महिलाओं को भारत के भविष्य की सच्ची निर्माता मानते हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने नमो शक्ति सेवा रथ रवाना किया
प्रधानमंत्री द्वारा अपने जन्मदिन पर महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके स्वास्थ्य की रक्षा के अपने दृष्टिकोण की पुन: पुष्टि के कुछ ही घंटों बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने नमो शक्ति सेवा रथ को रवाना किया। प्रधानमंत्री की दशकों लंबी नारी शक्ति प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर मैंने इस पहल को एक अभिनव राज्य स्तरीय मॉडल के रूप में निर्मित किया ताकि उनके दर्शन को ठोस कार्य में बदला जा सके। यह पहल महिलाओं को समय पर स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में बाधा डालने वाली दीवारों को तोड़ने की दिशा में निर्णायक कदम है।
हरियाणा की 75,000 महिलाओं तक पहुंचना कार्यक्रम का लक्ष्य
प्रत्येक मोबाइल स्वास्थ्य वैन पूरी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी का निर्माण करती है, जिसमें प्राथमिक चरण में स्तन कैंसर की जांच और अन्य आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण शामिल हैं। इस कार्यक्रम का लक्ष्य आगामी महीनों में हरियाणा की 75,000 महिलाओं तक पहुंचना है, जिससे हर जिले में प्रतिदिन एक गांव को कवर किया जा सके और समान पहुंच सुनिश्चित हो सके। डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड के एकीकरण और पॉजिटिव मामलों को सीधे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व तृतीयक संस्थानों से जोड़ने के द्वारा नमो शक्ति रथ यह सुनिश्चित करता है कि शीघ्र पहचान समय पर उपचार में बदले।
सिर्फ एक चिकित्सा हस्तक्षेप नहीं, यह एक आंदोलन
यह सिर्फ एक चिकित्सा हस्तक्षेप नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो महिलाओं के स्वास्थ्य को गरिमा, पहुंच और सशक्तिकरण का विषय बनाता है। मेरे लिए नमो शक्ति सेवा रथ प्रधानमंत्री की पुकार पूरी करने और हरियाणा को महिलाओं के स्वास्थ्य नवाचार में अग्रणी बनाने का व्यक्तिगत संकल्प है। ऐसी पहल की आवश्यकता और स्पष्ट हो जाती है, जब हम महिलाओं के कैंसर के सामाजिक पक्ष का सामना करते हैं, जो प्रभावी हस्तक्षेप के समक्ष शायद सबसे बड़ा अवरोध है। भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भ में स्तन और गर्भाशय ग्रीवा का स्वास्थ्य गहन मौन के क्षेत्र में आता है, जहां शारीरिक शालीनता
कलंक और डर से जुड़ा है कैंसर शब्द
भाग्यवादी विश्वासों से मिलती है और महिलाएं अकेले में कष्ट झेलती रहती हैं। कैंसर शब्द स्वयं कलंक और डर से जुड़ा हुआ है। छिपकर बोला जाता है। यह ऐसे मिथकों से घिरा होता है जो रोग को नैतिक दोष या दैवी दंड से जोड़ते हैं। स्तन परीक्षण परिवार के भीतर भी वर्जित होता है, क्योंकि महिलाएं पारिवारिक जरूरतों को हमेशा अपनी सेहत से ऊपर रखती हैं। यही मौन और कलंक यह सुनिश्चित करता है कि जब महिलाएं चिकित्सकीय मदद लें, तब तक प्रारंभिक, उपचार योग्य स्थितियां गंभीर, जानलेवा चरण में पहुँच चुकी होती हैं। जांच की असुविधा इस चुनौती को और बढ़ाती है, जिसमें महिलाओं को दूरस्थ संस्थानों की यात्रा करनी पड़ती है, अक्सर अकेले, उन परीक्षणों के लिए जो शारीरिक गोपनीयता के सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन करते हैं।
बिना संकोच स्वास्थ्य सेवा ले सकती हैं महिलाएं
नमो शक्ति सेवा रथ इन बाधाओं को नवोन्मेषी डिजाइन और संवेदनशील कार्यान्वयन से तोड़ता है। वैनों के गांव के चौक, सामुदायिक केंद्र और स्थानीय परिवेश में सीधे पहुंचने से, स्वास्थ्य-साक्षरता सामान्य होती है और महिलाएं मौजूदा सामाजिक संदर्भ में बिना संकोच स्वास्थ्य सेवा ले सकती हैं। सामाजिक रूप से संवेदनशील महिला स्वास्थ्यकर्मियों की उपस्थिति सुरक्षित वातावरण बनाती है, जहां महिलाएं बिना भय या झिझक के अपने स्वास्थ्य के मुद्दे साझा कर सकती हैं। तकनीक परंपरागत स्तन परीक्षा की असुविधा दूर करती है और तत्काल उपचार पाती हैं। साथ ही यह पहल कैंसर जांच को निजी शर्म से सार्वजनिक सशक्तिकरण में बदलती है, जिससे शीघ्र पहचान जिम्मेदार नागरिकता बनती है, व्यक्तिगत कमजोरी नहीं।
नमो शक्ति सेवा रथ की उपस्थिति देती है शक्तिशाली संदेश
यह रूपांतरण व्यक्तिगत व्यवहार परिवर्तन से समुदाय-स्तर की मान्यता में विस्तार पाता है। जब हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जैसे सम्मानित नेता सार्वजनिक रूप से जांच का समर्थन करते हैं, जब पुरुष परिजन अपनी पत्नियों और बेटियों को भागीदारी के लिए प्रेरित करते हैं, जब सामुदायिक स्वंयसेवक शीघ्र पहचान को जीवनरक्षक बुद्धिमत्ता के रूप में मानते हैं, तभी सांस्कृतिक परिदृश्य बदलता है। नमो शक्ति सेवा रथ की प्रत्येक समुदाय में उपस्थिति एक शक्तिशाली संदेश देती है।
महिलाओं का स्वास्थ्य इतना महत्वपूर्ण है कि वह सरकारी ध्यान, तकनीकी नवाचार और संसाधनों के आवंटन के योग्य है। यह मान्यता ऐतिहासिक रूप से महिलाओं के शरीर के इर्द-गिर्द बनी शर्म और गोपनीयता को तोड़ती है, डर की जगह सशक्तिकरण, मौन की जगह वकालत और भाग्यवाद की जगह सक्रिय स्वास्थ्य प्रबंधन सुनिश्चित करती है।
इस पहल के पीछे की तकनीकी दक्षता सुनिश्चित करती है कि सांस्कृतिक संवेदनशीलता नैदानिक उत्कृष्टता से समझौता न करे। डायनेमिक को-प्लानर कैपेसिटिव सेंसिंग तकनीक वाला स्क्रीनिंग उपकरण पारंपरिक मैमोग्राफी के स्तर तक जांच में सक्षम है, वह भी किसी प्रकार की विकिरण, असुविधा या निजीता की समस्या के बिना। यह उपकरण भारत में विकसित और निर्मित हुआ है, जो नैदानिक प्रभावशीलता और सांस्कृतिक स्वीकार्यता का अद्वितीय संगम है और महिलाओं की सुविधा व गरिमा का सम्मान करते हुए विश्वसनीय जांच प्रदान करता है।
महिलाओं का स्वास्थ्य राष्ट्रीय प्रगति की नींव
महिलाओं के कैंसर के खिलाफ युद्ध केवल स्वास्थ्य की लड़ाई नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक प्राथमिकताओं की परीक्षा भी है। जब हम हर गांव तक जांच और देखभाल पहुंचाते हैं, जब हिचकिचाहट को आत्मविश्वास में और मौन को जागरूकता में बदलते हैं, हम सिर्फ जीवन नहीं बचाते, बल्कि हम समाज की संरचना को बदलते हैं। स्वस्थ नारी, सशक्त भारत अभियान और नमो शक्ति सेवा रथ मिलकर इस बदलाव का आरंभ करते हैं। वे साबित करते हैं कि महिलाओं का स्वास्थ्य बाद की सोच नहीं, बल्कि राष्ट्रीय प्रगति की नींव है।
रोगमुक्त महिलाएं, बहनें व बेटियां विकास की कसौटी
यदि राष्ट्र को 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करना है तो हर मां, बहन और बेटी को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे ऐसी बीमारियों के भय से मुक्त रहें, जिनका समय रहते रोका या इलाज किया जा सकता है। यही असली विकास की कसौटी है, जहां देश की शक्ति केवल उसकी आर्थिक वृद्धि या तकनीकी क्षमता में नहीं, बल्कि उसकी महिलाओं की गरिमा, सुरक्षा और भलाई में दिखाई देती है। आज उनकी सेहत में निवेश करके हम देश के भविष्य में निवेश कर रहे हैं। (लेखक राज्यसभा के सांसद हैं।)
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