Editorial Aaj Samaaj: मोदी की चीन और पुतिन की भारत यात्रा के मायने

0
93

Modi, Putin China-India Visit, Editorial Aaj Samaaj | राकेश सिंह | आज की दुनिया में राजनीति इतनी तेजी से बदल रही है कि हर दिन कोई नई खबर आ जाती है। अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगा दिए। वजह, भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जो अमेरिका को पसंद नहीं आ रहा। इसी बीच खबर आई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन जा सकते हैं और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आने वाले हैं। ये सब क्या है? क्या भारत की कोई खास रणनीति है? और इससे विश्व की राजनीति में क्या बदलाव आ रहे हैं? आइए, इन सवालों पर गौर करते हैं और भाषा में समझते हैं।

राकेश सिंह, प्रबंध संपादक, आईटीवी नेटवर्क।

सबसे पहले ट्रम्प के टैरिफ की बात। ट्रम्प ने अगस्त 2025 में भारत पर पहले 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए। फिर उसे दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया। क्योंकि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है। रूस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए हैं और ट्रम्प चाहते हैं कि भारत भी उन प्रतिबंधों का पालन करे। लेकिन भारत के लिए रूस से तेल खरीदना जरूरी है, क्योंकि इससे महंगाई काबू में रहती है और अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करता है तो ये टैरिफ और बढ़ सकते हैं। भारत सरकार ने इसका विरोध किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और कहा कि हम अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम रहेंगे। ये टैरिफ भारत के निर्यात पर असर डालेंगे, जैसे कपड़े, दवाइयां और आईटी सेवाएं। भारतीय व्यापारी चिंतित हैं, क्योंकि अमेरिका हमारा बड़ा बाजार है। लेकिन भारत ने कहा कि हम बातचीत से हल निकालेंगे, पर दबाव में नहीं झुकेंगे।

अब मोदी के चीन दौरे की बात। रिपोर्ट्स की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चीन जाएंगे। ये शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के लिए है, जो तियानजिन शहर में होगी। मोदी का चीन जाना सात साल बाद हो रहा है, क्योंकि 2020 में गलवान घाटी में झड़प के बाद रिश्ते खराब हो गए थे। लेकिन अब लगता है कि दोनों देश फिर से बातचीत बढ़ा रहे हैं। एससीओ में मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग से मिल सकते हैं। क्यों जा रहे हैं मोदी? विशेषज्ञों की मानें तो एक वजह ट्रम्प के टैरिफ हैं। अमेरिका से रिश्ते खराब होते हैं तो भारत चीन के साथ व्यापार बढ़ाकर बैलेंस करना चाहता है। चीन हमारा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, भले ही सीमा पर तनाव हो। एससीओ में रूस, चीन, भारत जैसे देश हैं, जो अमेरिका के दबाव से अलग अपनी नीति बनाते हैं। मोदी का ये दौरा दिखाता है कि भारत किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा। वो बहुध्रुवीय दुनिया चाहते हैं, जहां कई ताकतें हों।

फिर पुतिन का भारत आगमन। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में कहा कि पुतिन इस साल के अंत तक भारत आएंगे। पुतिन आखिरी बार 2021 में आए थे। अब उनका आना महत्वपूर्ण है, क्योंकि ट्रम्प भारत को रूस से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन भारत-रूस की दोस्ती पुरानी है। रूस हमें हथियार, तेल और तकनीक देता है। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत ने रूस का साथ नहीं छोड़ा। पुतिन का दौरा दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और व्यापार को मजबूत करेगा। ये भी एक संदेश है अमेरिका को कि भारत अपनी विदेश नीति खुद तय करेगा।

तो क्या है भारत की रणनीति? भारत की नीति है मल्टी-अलाइनमेंट। मतलब, हम अमेरिका से भी दोस्ती रखेंगे, रूस से भी, चीन से भी बात करेंगे। ट्रम्प के टैरिफ से अमेरिका-भारत रिश्ते सबसे खराब दौर में हैं। ? लेकिन मोदी जानते हैं कि दुनिया बदल रही है। अमेरिका अब पहले जैसा दबदबा नहीं रखता। भारत ब्रिक्स और एससीओ जैसे संगठनों में सक्रिय है, जहां चीन और रूस बड़े खिलाड़ी हैं। मोदी का चीन जाना और पुतिन का आना इसी रणनीति का हिस्सा है। हम रूस से तेल खरीदते रहेंगे, क्योंकि वो सस्ता है और हमें मध्य पूर्व पर निर्भरता कम करनी है। साथ ही, चीन के साथ सीमा विवाद सुलझाने की कोशिश करेंगे, ताकि व्यापार बढ़े। ये सब भारत को मजबूत बनाएगा, क्योंकि हम किसी एक ब्लॉक में नहीं फंसेंगे।

अब विश्व राजनीति में क्या बदल रहा है? दुनिया अब एकध्रुवीय नहीं है, जहां अमेरिका अकेला बॉस हो। ट्रम्प की ह्यअमेरिका फर्स्टह्ण नीति से कई देश नाराज हैं। उन्होंने भारत, चीन, कनाडा पर टैरिफ लगाए। इससे मल्टीपोलर वर्ल्ड आ रहा है, जहां कई केंद्र हैं। अमेरिका, चीन, रूस, यूरोप, भारत। रूस यूक्रेन युद्ध में फंसा है, लेकिन ट्रम्प से मिलने की तैयारी कर रहा है। शायद युद्ध खत्म करने पर बात हो। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने पीएम मोदी से बात की है। ये दिखाता है कि ग्लोबल साउथ (विकासशील देश) अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। चीन और रूस की दोस्ती मजबूत हो रही है, और भारत उसमें बैलेंस कर रहा है।

ट्रम्प के आने से व्यापार युद्ध बढ़ गए हैं। पहले उन्होंने चीन पर टैरिफ लगाए, अब भारत पर। लेकिन भारत जैसे देश अब वैकल्पिक रास्ते ढूंढ रहे हैं। जैसे, रूसी तेल खरीदकर हमने अरबों डॉलर बचाए। विश्व राजनीति में अब ऊर्जा, तकनीक और सुरक्षा बड़े मुद्दे हैं। जलवायु परिवर्तन, एआई, स्पेस झ्र इनमें सहयोग बढ़ रहा है। लेकिन तनाव भी हैं: ताइवान, यूक्रेन, मध्य पूर्व। भारत की रणनीति है कि हम शांति के पक्ष में रहें, लेकिन मजबूत रहें। मोदी की विदेश नीति ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाया है। जी20 में हमने दिखाया कि हम मध्यस्थ बन सकते हैं। ये बदलाव भारत के लिए मौके हैं। हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ट्रम्प के टैरिफ से नुकसान होगा, लेकिन हम चीन, रूस, यूरोप से व्यापार बढ़ा सकते हैं। पुतिन का आना रक्षा सौदों को बढ़ावा देगा, जैसे एस-400 मिसाइल। मोदी का चीन जाना सीमा पर शांति ला सकता है। कुल मिलाकर, विश्व राजनीति में अमेरिका का दबदबा कम हो रहा है, और एशिया की ताकत बढ़ रही है। भारत इसमें अहम भूमिका निभा रहा है।

अंत में, ये घटनाएं दिखाती हैं कि दुनिया अब पुराने ढर्रे पर नहीं चल रही। ट्रम्प के टैरिफ, मोदी का चीन दौरा, पुतिन का भारत आगमन झ्र सब एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा हैं। भारत की रणनीति साफ है: स्वतंत्र रहो, सबके साथ दोस्ती करो, लेकिन अपने हित पहले। इससे विश्व राजनीति अधिक संतुलित और विविध हो रही है। उम्मीद है, ये बदलाव शांति और विकास लाएंगे, न कि और टकराव। (लेखक आईटीवी नेटवर्क के प्रबंध संपादक हैं।) 

यह भी पढ़ें : Editorial Aaj Samaaj: बड़ा सवाल, भारत पर अमेरिकी टैरिफ, आपदा या अवसर