Earthquake in Northeast : पूर्वोत्तर में कांपी धरती, 4.7 की तीव्रता से आया भूकंप

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Earthquake in Northeast : पूर्वोत्तर में कांपी धरती, 4.7 की तीव्रता से आया भूकंप
Earthquake in Northeast : पूर्वोत्तर में कांपी धरती, 4.7 की तीव्रता से आया भूकंप

किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं, मणिपुर में जमीन से 15 किलोमीटर नीचे थे केंद्र

Earthquake in Northeast  (आज समाज), नई दिल्ली : आज सुबह करीब 6.10 मिनट पर पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 4.7 दर्ज की गई। इन झटकों को भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों में भी महसूस किया गया। इनमें मणिपुर, नगालैंड और असम प्रमुख रहे। नेशनल सेंटर आॅफ सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक भूकंप का केंद्र मणिपुर से दक्षिण-पूर्व में 27 किलोमीटर दूर उखरुल में जमीन के 15 किलोमीटर नीचे रहा।

यह जगह नगालैंड के वोखा से दक्षिण-दक्षिणपूर्व में 155 किमी दूर और दीमापुर से 159 किमी दूर दक्षिणपूर्व में स्थित है। गौरतलब है कि मंगलवार देर रात महाराष्ट्र के सतारा में भी भूकंप आया। यहां देर रात 12.09 बजे झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र कोल्हापुर से 91 किमी उत्तर-पश्चिम में जमीन से पांच किमी गहराई में था। इसके बाद तिब्बत में सुबह 4.28 बजे 3.3 तीव्रता का एक भूकंप दर्ज हुआ।

सितंबर में दूसरी बार पूर्वोत्तर में आया भूकंप

ज्ञात रहे कि इससे पहले 15 सितंबर को भी देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई जगह आज भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। उस समय भूकंप का केंद्र असम के उदलगुरी जिले में था और रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई। उस समय भूकंप शाम करीब 4 बजकर 40 मिनट पर भूकंप आया और इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी।

पश्चिम बंगाल से लेकर भूटान तक महसूस किए गए झटके

सूत्रों के अनुसार पश्चिम बंगाल से भूटान तक झटके महसूस किए गए हैं। जहां-जहां भूकंप के झटके महसूस किए गए, लोग दशहत के चलते अपने घरों से बाहर निकले आए। हालांकि फिलहाल अब तक भूकंप की वजह से किसी के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।

जानिए किस वजह से आते हैं भूकंप

भूकंप आने का मुख्य कारण धरती के अंदर मौजूद प्लेटों का आपस में टकराना है। धरती में 7 प्लेटें हैं, जो हमेशा घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेटें अधिक टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेटों के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेटें टूटने लगती हैं और नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं। ऐसी स्थिति में डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।

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