Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang मन को शांति सत्संग में ही मिलती हैं: स्वामी ज्ञानानंद

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Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang

प्रवीण वालिया, करनाल:

Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang : महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी ने कहा कि विज्ञान शारीरिक सुख के अलावा कुछ नहीं दे पाया है। विज्ञान के आविष्कार मन की शांति नहीं दे पाए हैं। यदि विज्ञान मन की शांति दे पाता तो आज तनाव और डिप्रेशन नहीं होता। विकसित देशों में आज 75 प्रतिशत से अधिक लोग तनाव और डिप्रेशन के शिकार हैं।

पहुंच रहे हजारों श्रद्धालु Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang

उन्होंने कहा कि मन को शांति सत्संग में ही मिलती हैं। स्वामी ज्ञानानंद सेक्टर-13 स्थित मैदान में आयोजित गीता ज्ञान यज्ञ सत्संग के समापन समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा, जेबीडी ग्रुप के एमडी भारतभूषण कपूर, समाजसेवी व्रिज गुप्ता विशेष तौर पर मौजूद थे। (Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang) करनाल में तीन दिवसीय श्री गीता ज्ञान महायज्ञ का आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी। उन्होंने तीन दिवसीय प्रवचनों में श्री मदभागवत गीता के कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम तो केवल लेने वाले हैं। देने वाला तो भगवान है। उन्होंने कहा कि भारतीय कल्चर में नववर्ष का कोई स्थान नहीं हैं। हमारे यहां संंवंत मनाई जाती हैं।

समय की कद्र करने वाले रहते हैं याद Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang

स्वामी ने कहा कि समय किसी का इंतजार नहीं करता हैं। जो समय की कद्र करते हैं, समय उनको याद करता हैं। उन्होंने कहा कि समय तेजी से बदलता हैं। पहले हमने नई मिलेनियम का स्वागत किया, अब देखते-देखते नए मिलेनियम के 21 साल बीत गए। उन्होंने कहा कि नए वर्ष में जाने से पहले हमें कुछ का त्याग करना होगा। हमें मन की कड़वाहट, दूसरे के प्रति दुर्भाव का त्याग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज साल की विदाई हो रही हैं। हमें नए समय का स्वागत अच्छी भावना के साथ करना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि हमारे पास देने के लिए कुछ नहीं हैं। हमें दान पर अहंकार नहीं करना चाहिए।

हम केवल भगवान के माध्यम Closing Ceremony Of Gyan Yagya Satsang

भगवान हमें तो केवल माध्यम बनाता हैं। उन्होंने कहा कि समय हमारे हाथ में नहीं है यह न तो रुकेगा ना ही किसी का इंतजार करता हैं। उन्हेंने कहा कि लाखों लोग आए और चले गए। समय ने उनका इंतजार किया जिन्होंने समय पर काम किया। आज लाखों साल बाद भी प्रहलाद, शबरी, विभीषण को याद करते हैं। गोस्वामी तुलसी दास, सूरदास मीरा हमारे लिए प्रेरणा का संदेश हैं। उन्होंने कहा कि आज आप मन की कड़वाहट को छोड़ कर जाएं। हम सुखी रहें। स्वामी जी ने सभी को नए साल की शुभकामना दी।

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