
- हादसा होने पर जिम्मेदार कौन, सता रहे सवाल
Panipat News (आज समाज), पानीपत : जिले के बापौली-सनौली खुर्द खंड के इलाकों में सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चों को लाने-ले जाने के लिए पुरानी और खटारा कारें, वैन और टैंपुओं का उपयोग हो रहा है। ये वाहन स्कूली बसों की तुलना में अधिक खतरनाक हैं। विभाग के पास इन वाहनों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। इसका कारण यह है कि ये वाहन स्कूलों द्वारा नहीं, बल्कि निजी वाहन चालकों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।
छोटी गाड़ियों की कोई स्पष्ट जानकारी विभाग के पास नहीं
अधिकारी बार-बार अभिभावकों से अपील करते है कि वे वाहनों की जांच के बाद ही अपने बच्चों को इन स्कूली वाहनों से भेजें। स्कूलों में पंजीकृत बसें चल रही हैं। उन बसों की सूची आरटीओ कार्यालय व शिक्षा विभाग के पास मौजूद है। लेकिन वैन और ऑटो जैसी छोटी गाड़ियों की कोई स्पष्ट जानकारी विभाग के पास नहीं है। इन्हीं वाहनों में बच्चों की सुरक्षा सबसे अधिक जोखिम में है।
यह है स्कूल वाहन के मानक
- स्कूल वाहन का रंग सुनहरा पीला हो। उस पर दोनों ओर बीच में चार इंच मोटी नीले रंग की पट्टी हो।
- स्कूल बस में आगे-पीछे दरवाजों के अतिरिक्त दो इमरजेंसी गेट हों।
- सीटों के नीचे बैग रखने की व्यवस्था हो।
- बसों व वाहनों में स्पीड अलार्म लगा हो, जिससे स्कूल संचालक को वाहन की गति का पता चल सके।
- एलपीजी वाहन में अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था हो।
- अनुभव वाले चालकों से ही स्कूल वाहन परिचालन की अनिवार्यता।
- स्कूल वाहन में फस्र्ट-एड बॉक्स की व्यवस्था हो।
- स्कूल वाहन में सीसीटीवी कैमरे लगे हो।
क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधिकारी
इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा का कहना है कि सरकार की नीति है कि एसएमसी की और से डिमांड भेजी जाए और इसके लिए सुरक्षित वाहन लगाए जाए, जिसका खर्च सरकार की और से दिया जाता है। जो स्कूल रहे गए है उनकी भी डिमांड भेजी जाएगी। बच्चों व अभिभावकों को भी जागरूक किया जाएगा कि वो अपने बच्चों को सुरक्षित वाहनों से ही स्कूल में भेजें।

