Chandigarh News: चंडीगढ़ के न्यायिक इतिहास में पहली बार किसी दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है। जिला अदालत के इस ऐतिहासिक फैसले ने न केवल एक परिवार को न्याय दिलाया, बल्कि पूरे राज्य को झकझोरते हुए यह संदेश भी दिया कि मासूमों के साथ हैवानियत करने वालों को अब समाज में जगह नहीं मिलेगी। फांसी की सजा हीरा लाल उर्फ गुड्डू को दी गई है, जिसने 19 जनवरी 2024 को हल्लोमाजरा की रहने वाली 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी नृशंस हत्या कर दी थी।
घटना उस समय की है जब बच्ची पड़ोस की दुकान से सामान लेने निकली थी, लेकिन लौटकर नहीं आई। परिजनों की शिकायत पर पुलिस हरकत में आई और पड़ोस के एक मकान की तलाशी के दौरान खून से सनी रजाई और एक चाकू बरामद किया गया, जबकि आरोपी मौके से फरार हो चुका था। दो दिन बाद बच्ची की लाश रामदरबार के पास जंगल में मिली, जिससे पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। इस संगीन अपराध की गुत्थी सुलझाने के लिए पूर्व में मौजूद सेक्टर 31 थाना प्रभारी रामरतन शर्मा और हल्लो माजरा चौकी इंचार्ज रवदीप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई थी जिसने गुप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर मात्र छह दिन में ही आरोपी को बिहार से दबोच लिया।गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने पूछताछ में कबूल किया था कि उसने बच्ची को अगवा कर पहले दुष्कर्म किया और फिर उसका सिर दीवार पर पटक कर हत्या कर दी।करीब 18 महीने तक चले मुकदमे के बाद अदालत ने मंगलवार को आरोपी को दोषी करार दिया और मंगलवार को फांसी की सजा सुना दी। फैसले में अदालत ने कहा कि यह अपराध मानवता के सबसे अमानवीय और घिनौने रूपों में से एक है और समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।
इस फैसले को शहर में दुष्कर्मियों को कड़ा संदेश और न्याय व्यवस्था की निर्णायक ताकत के रूप में देखा जा रहा है।कानूनी विशेषज्ञों महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह न सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए न्याय है, बल्कि समाज की हर मासूम बच्ची के लिए एक सुरक्षा का प्रतीक बनकर उभरा है।यह फैसला उन सभी खामोश चीखों का जवाब है जो वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा में रह जाती हैं।
अब चंडीगढ़ की अदालत ने स्पष्ट कर दिया है मासूमों की हिफाजत सर्वोपरि है और दरिंदों को सिर्फ सजा नहीं सबसे कठोर सजा मिलेगी।