Chandigarh News: ज्ञान है बांटने का सौदा न करे घंमड: मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक

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Chandigarh News: ज्ञान, या शिक्षा, एक मूल्यवान संपत्ति है जो हमें दुनिया को समझने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ज्ञान स्वयं में एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि एक उपकरण है जिसका उपयोग हम अपने जीवन को बेहतर बनाने और दूसरों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए कर सकते हैं।

जब हम अपने ज्ञान पर घमंड करते हैं, तो हम दूसरों को कम आंकने लगते हैं और सीखने की हमारी क्षमता को सीमित कर लेते हैं। यह न केवल हमारे व्यक्तिगत विकास के लिए हानिकारक है, बल्कि दूसरों के साथ हमारे संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ये शब्द मनीषीसंतश्रीमुनिविनयकुमार जी आलोक ने सैक्टर-24 सी  अणुव्रत भवन  तुलसीसभागार में सभा को संबोधित करते हुए कहे।

मनीषीसंत ने आगे कहा एक ज्ञानी व्यक्ति वह है जो हमेशा सीखने के लिए उत्सुक रहता है, और जो अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करने में खुशी महसूस करता है। वे विनम्र होते हैं, और वे दूसरों के ज्ञान और अनुभवों का सम्मान करते हैं।  इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने ज्ञान पर घमंड करने के बजाय, इसे विनम्रता और दूसरों की मदद करने के लिए उपयोग करें।

मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया कभी भी व्यक्ति को अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए। ना जाने किस दिन ऐसी कौन सी घटना हो जाए कि आप अपनी सुध बुध खो बैठे और आपका ज्ञान रखा का रखा रह जाए। अंतिम समय में णमोकार मंत्र को भी याद नहीं रख पाए। एक पंडित की कथा सुनाते हुए कहा कि पंडित जी को अपने ज्ञान का बहुत घमंड था।

बनारस से अपने गांव लौटते समय रास्ते में दी पार करनी थी। नाव में जैसे ही वह सवार हुए उन्होंने नाविक की परीक्षा लेना शुरू कर दी। उसके पढ़े-लिखे न होने पर उन्होंने उसे गवार आदि कहते हुए यह तक कह दिया तुम्हारा आधा जीवन तो पानी में चला गया। इसी दौरान नदी में तेज लहर उठने लगी और नाव मझधार में फसती नजर आई।

जिस पर नाविक ने पंडित से पूछा आप तैरकर जानते हैं तो उन्होंने मना कर दिया। जिससे नाविक ने कहा कि पंडित जी मेरा तो आधा जीवन ही पानी में गया था अब आपका पूरा जीवन पानी में जाने वाला है। पूजा मद का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी भी मान प्रतिष्ठा का घमंड नहीं करना चाहिए।

क्योंकि यह मान प्रतिष्ठा हमें अपने पिछले जन्म के कर्म और वर्तमान की पद की प्रतिष्ठा के अनुरूप मिलती है। यह कब चली जाए कहा नहीं जा सकता। आप जब तक बड़े पद पर हैं तब तक लोग आप को नमस्कार करते हैं, लेकिन जिस दिन यह पद आपके पास नहीं रहता आपकी प्रतिष्ठा में भी कमी आती जाती है। इसके साथ ही उन्होंने और भी प्रासंगिक बाते बताईं।

मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया ज्ञान हमेशा विनम्रता के साथ आता है। ऐसे में व्यक्ति को कभी भी अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर ज्ञान ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता। ज्ञान पर घमंड करने वाला व्यक्ति कभी अपने क्षेत्र में उन्नति नहीं कर सकता।