Chandigarh News: जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, तभी ही हमारी नींद खुलती है। अपनी धरती को बचाने के लिए क्या हम लोगों की कोई जिम्मेदारी नहीं? क्या हम सब यह संकल्प नहीं ले सकते कि अपने आसपास के एक पेड़ की आजीवन देखभाल करेंगे। आज साफ हवा में सांस लेने को हम तरस गए हैं।
क्योंकि विकास की अंधी दौड़ में खेती की जमीन और जंगल को हम इस कदर खत्म कर चुके हैं कि कंक्रीट के जंगल में सबका दम घुट रहा हे। हम अपने हर काम के लिए वक्त निकालते हैं, तो अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम चंद मिनट क्यों नहीं दे सकते? ये शब्द मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमार जी आलोक ने अणुव्रत भवन सैक्टर-24 तुलसी सभागार में जनसभा को संबोधित करते हुए कहे।
मनीषीसंत ने आगे कहा पेड़-पौधे प्रकृति की सुकुमार, सुन्दर, सुखदायक सन्तानें मानी जा सकती हैं । इनके माध्यम से प्रकृति अपने अन्य पुत्रों, मनुष्यों तथा अन्य सभी तरह के जीवों पर अपनी ममता के खजाने न्यौछावर कर अनन्त उपकार किया करती है । स्वयं पेड़-पौधे भी अपनी प्रकृति माँ की तरह से सभी जीव-जन्तुओं का उपकार तो किया ही करते हैं ।
उनके सभी तरह के अभावों को दूर करने के साधन भी है । पेड-पौधे और वनस्पतियाँ हमें फल-फूल, औषधियाँ, एवं अनन्त विश्राम तो प्रदान किया ही करते हैं, वे उस प्राणवायु का अक्षय भण्डार भी हैं की जिसके अभाव में किसी प्राणी का एक पल के लिए जीवित रह पाना भी असंभव है।
जिस तरह से पानी व पेड पौधो के कारण उत्पन्न हुए पर्यावरण संकट ने पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान समेत पूरे उत्तर भारत को अपनी लपेट में लिये हुए है हर जगह गर्मी व धूल भरे कणों ने आम जनजीवन को अस्त व्यस्त बना दिया । जिस कारण बाहर निकलना तो दूर की बात सांस लेने में भी परेशानी हो रही है।
इन सबका कारण आज का इंसान है जो अपने स्वार्थ के कारण लगातार पानी का दुरूपयोग व पर्यावरण के साथ खिलवाड करने से बाज नही आ रहा है इसी कारण ही यह विकराल संकट सभी राज्यो मे उत्पन्न हो गया है। अगर जल्द इंसान सभला नही तो बहुत देर हो जाएगी और इसके परिणाम और भी विकराल देखने को मिलेगें इसलिए सभंल जाईये।
मनीषीसंत ने अंत मे फरमाया पेड़ हमारे जीवन के लिए उतने ही महत्वपूर्ण है जितनी की हमारी साँसे। इन पेड़ो का मानव के ही नहीं बल्कि जीव-जन्तुओ के जीवन में भी प्रभाव पड़ता है। इन पेड़ो से सब जीवित प्राणी और पशु-पक्षियों को ऑक्सीजन प्रदान करते है। इन पेड़ो से हमारा वातावरण हरा-भरा रहता है।
पानी व पेड पौधों के काटने से दुनिया विकराल संकट से जूझ रही है तो भारत भी इससे अछूता नहीं है। इन चुनौतियों का तोड़ निकालने के बीच अब विभिन्न मंचों पर जलवायु परिवर्तन की चिंता पर चर्चा भी आम हो गई है।
पेड पौधों को बचाने के लिए व पानी का सदुपयोग के लिए एक अभियान चलाने की जरूरत है और तो और जो पानी का दुरूपयोग कर रहे है व पेड पौधो व पर्यावरण को हानि पहुंचाते है उनके खिलाफ सरकारो को कडी से कडी कार्रवाई करनी चाहिए। स्कूलो, कॉलेजो और परिवारो मे भी बच्चो, बडो, बुजुर्गो सभी को पर्यावरण के प्रति जागरूक करे।