Chandigarh news:(आज समाज): चंडीगढ़, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि सरकार बाढ़ पीड़ितों की मदद और उन्हें राहत पहुंचाने के लिए पुख्ता कदम नहीं उठा रही है। लोगों में बीजेपी सरकार के नकारेपन को लेकर भारी रोष है। बाढ़ के चलते हरियाणा में भयंकर तबाही मची है। किसानों 18 लाख एकड़ में खड़ी फसल बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है। करीब 6000 गांव, 11 शहर और 72 कस्बे बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। 4 लाख किसानों ने बाकायदा पोर्टल पर खराबे की जानकारी अपलोड की है। जबकि पीड़ितों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
हुड्डा विभिन्न बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के बाद अपने आवास पर पत्रकारो से बातचीत में कही, इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस बार हालात 1995 में आई बाढ़ से भी ज्यादा खराब हैं। उन्होंने यमुनानगर से लेकर रोहतक समेत कई इलाकों का दौरा किया और लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने बताया कि यमुना से लगते खेत तो तमाम फसलों व पोपलर समेत बह गए। खेत में खड़ी तमाम फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। गन्ने की फसल जड़ों से उखड़ गई हैं। धान समेत तमाम फसलें जलभराव की भेंट चढ़ चुकी हैं।
खेतों में इतना रेत चढ़ चुका है कि अगले सीजन की फसल लेना भी नामुमकिन है। बाढ़ को और ज्यादा भयावह बनाने के लिए इलाके में हो रहा अवैध खनन जिम्मेदार है। सरकार के संरक्षण में खनन माफिया ने उस कद्र अवैध खनन किया है कि यमुना का रुख ही बदल दिया। एनजीटी से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने इसको लेकर सरकार को आईना दिखाया है, लेकिन सरकार माफिया पर कार्रवाई करने की बजाए, संरक्षण दे रही है।
हुड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को पंजाब की तरह हरियाणा में हुए नुकसान का भी जायजा लेना चाहिए था। साथ ही हरियाणा को भी विशेष पैकेज मिलना चाहिए था। लेकिन प्रधानमंत्री का हरियाणा में ना आना, प्रदेश सरकार की बड़ी नाकामी को दिखाता है। ऊपर से प्रदेश सरकार मुआवजे के नाम पर भी लोगों के साथ भद्दा मजाक कर रही है। मात्र 7-15 हजार का ऐलान किसानों के जख्मों पर नमक के समान है। जब किसानों की शुरुआती लागत ही 30 से 35 हजार प्रति एकड़ है, सालाना पट्टा लगभग 60-70 हजार प्रति एकड़ है, ऐसे में सिर्फ 7 हजार का मुआवजा किसानों के साथ मजाक है।
किसानों को कम से कम 60-70 हज़ार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलना चाहिए। हजारों लोगों के मकान, दुकानें, इमारतें व अन्य प्रतिष्ठान क्षतिग्रस्त हुए हैं, इन सबकी भरपाई के लिए भी उचित मुआवजे की घोषणा की जानी चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार पोर्टल का चक्कर छोड़कर तुरंत स्पेशल गिरदावरी करवाए और किसानों तक आर्थिक मदद पहुंचाए। क्योंकि पोर्टल का झमेला सिर्फ किसानों को मुआवजे से वंचित करने के लिए खड़ा किया जा रहा है।
जिन गांवों में 100 प्रतिशत तक खराबा है, वहां के किसानों को भी पोर्टल पर रेजिस्टर करने के लिए कहा जा रहा है। जबकि जब सरकार को पराली जलाने के केस दर्ज करने होते हैं तो व सेटेलाइट के आधार पर फैसला ले लेती है। तो क्या इस सरकार को खेतों में आई बाढ़ सेटेलाइड इमेज में नजर नहीं आती?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि जब 1995 में ऐसी ही बाढ़ आई थी तो कांग्रेस सरकार ने किसानों को फसलों के साथ खेत के कोठड़े, ट्यूबवैल, तमाम मकानों और दुकानों समेत प्रत्येक नुकसान का कैश मुआवजा दिया था। आगे हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने चुनावों से पहले लाखों लोगों के बीपीएल कार्ड बनाकर भी वोट चोरी को अंजाम दिया है। क्योंकि चुनाव के टाइम आनन-फानन में लाखों बीपीएल कार्ड बनाए गए। उन लोगों के भी कार्ड बना दिए गए, जो इसके लिए अपात्र थे।
ऐसा करके बीजेपी ने चुनाव में लाखों लोगों की वोट ली और अब तीसरी बार सरकार बनते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। अब रोज हजारों परिवारों के बीपीएल कार्ड काटे जा रहे हैं। उन लोगों के भी कार्ड काटे जा रहे हैं, जो गरीबी रेखा से नीचे हैं। करीब 11 लाख परिवारों के राशन कार्ड काटकर उन्हें सरकारी योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है।