कहा, चंडीगढ़, पंजाब यूनिवर्सिटी पर सिर्फ पंजाब का अधिकार
Chandigarh Breaking News (आज समाज), चंडीगढ़ : पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने एक बार फिर से केंद्र सरकार से मांग की है कि वह सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ को जल्द से जल्द पंजाब को सौंप दे। मान कहा कि 1970 में हुए इंदिरा गांधी समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चंडीगढ़ का राजधानी प्रोजेक्ट क्षेत्र पूरी तरह पंजाब को जाएगा। यह केंद्र सरकार की स्पष्ट प्रतिबद्धता थी।
भगवंत सिंह मान ने कहा कि 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए राजीव-लोंगोवाल समझौते में इसकी स्पष्ट पुष्टि की गई थी कि चंडीगढ़ पंजाब को सौंप दिया जाएगा। भगवंत सिंह मान ने दुख के साथ कहा कि वादे पर वादे करने के बावजूद चंडीगढ़ पंजाब के हवाले नहीं किया गया, जिससे हर पंजाबी का दिल आहत हुआ है।
गृह मंत्री के सामने की जोरदार वकालत
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने उत्तरी जोनल काउंसिल की 32वीं बैठक में चंडीगढ़, पंजाब यूनिवर्सिटी और नदियों के पानी पर जोरदार ढंग से दावा पेश किया तथा देश में वास्तविक अर्थों में संघीय ढांचे की वकालत की। ये मुद्दे उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान ने स्पष्ट रूप से उन क्षेत्रों की सीमाएं निर्धारित की हैं, जिनमें केंद्र और राज्य अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संघवाद हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों में से एक है, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 75 वर्षों में अधिकारों के केंद्रीकरण का रुझान हावी रहा है।
केंद्र के दखल से प्रभावित हो रही पंजाब की भूमिका
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कामकाज में पंजाब और हरियाणा के सेवा कर्मचारियों की भर्ती में 60:40 अनुपात बनाए रखने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि आई.ए.एस. और पी.सी.एस. अधिकारियों को प्रशासन में मुख्य पदों से बाहर रखा जा रहा है। आबकारी, शिक्षा, वित्त और स्वास्थ्य जैसे विभागों में ये पद स्टेट यूटी कैडर (डैनिक्स) जैसे कैडरों के लिए खोल दिए जा रहे हैं, जिससे यूटी प्रशासन के प्रभावी कामकाज में पंजाब राज्य की भूमिका पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब कैडर के अधिकारियों को जनरल मैनेजर एफ.सी.आई. (पंजाब) के पद पर तैनात करने का एक और मुद्दा उठाते हुए, केंद्र के अनाज पूल में पंजाब के सबसे अधिक योगदान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी को एफसीआई के क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात करने की स्थापित परंपरा नहीं तोड़नी चाहिए।


