Business News: निर्यात में गिरावट से बचने को तलाशने होंगे वैकल्पिक बाजार

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Business News: निर्यात में गिरावट से बचने के लिए तलाशने होंगे वैकल्पिक बाजार

Today Business News, (आज समाज), बिजनेस डेस्क: अमेरिका टैरिफ के कारण भारत के वस्तु निर्यात में भारी गिरावट आने की संभावना है और इस नुकसान के बचने के लिए सरकार को भविष्य में वैकल्पिक बाजार तलाशने होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर हाल ही में भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया गया है और इसके कारण कपड़ा, समुद्री उत्पाद व रत्न-आभूषण वगैरह के निर्यात पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका है। इसके अलावा जैविक/कृषि रसायन, मशीनरी व उपकरण, परिवहन उपकरण, प्लास्टिक व चमड़ा समेत अन्य क्षेत्र भी काफी प्रभावित हो सकते हैं।

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आ सकती है 5 प्रतिशत की गिरावट

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस टैरिफ के कारण चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दिसंबर तिमाही में वस्तु निर्यात में बड़े पैमाने पर गिरावट आ सकती है। इसमें कहा गया है कि यदि भारत आने वाले समय में वैकल्पिक बाजार तलाशने में विफल रहता है तो उसके एक्सपोर्ट में दिसंबर तिमाही में 5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। यह 103.3 अरब डॉलर के बराबर होगी।

वर्ष 2023-24 में दर्ज की गई थी 3 प्रतिशत गिरावट

रिपोर्टों के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात लगभग 3 प्रतिशत घटा था। वहीं 2024-25 में लगभग यह स्थिर रहा। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि में देश से एक्सपोर्ट में 2.3 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की गई। इस दौरान यूएस को 18 प्रतिशत अधिक निर्यात किया गया।

हांगकांग व चीन को होने एक्सपोर्ट में वृद्धि दर्ज

बता दें कि 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि में भारत से हांगकांग व चीन को होने वाले एक्सपोर्ट में वार्षिक आधार पर क्रमश: 26.3 फीसदी और 19.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। नीति आयोग के सीईओ ने कुछ दिन पहले कहा था कि भारत सरकार को चीन संग अपना एक्सपोर्ट बढ़ाने की आवश्यकता है। हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि विविधीकरण के किसी उपाय से यूएस होने वाले एक्सपोर्ट में अनुमानित गिरावट की भरपाई मुमकिन नहीं है।

पेट्रोलियम निर्यात भी घट सकता है

बता दें कि भारत के टोटल एक्सपोर्ट का 5वां हिस्सा यूएस भेजा जाता है। यह अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक है। दो प्रमुख क्षेत्रों इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स के जरिये आंशिक तौर पर निर्यात में कुल गिरावट की भरपाई की जा सकती है। इन क्षेत्रों के एक्सपोर्ट के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। वैश्विक बाजार में कीमतें गिरने से दिसंबर तिमाही में पेट्रोलियम निर्यात भी घट सकता है।

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