Bone Tumors Treatment, (आज समाज), नई दिल्ली: हड्डी के ट्यूमर, जो अक्सर गलत समझे और गलत निदान किए जाते हैं। स्वास्थ्य पेशेवरों और मरीजों दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट (आथोर्पेडिक्स एवं मस्कुलोस्केलेटल आन्कोलॉजी) डॉ. बृजेश नंदन हड्डी के ट्यूमर के प्रकार, कारण, विभिन्न आयु समूहों में प्रसार, निदान और उपचार विकल्पों पर प्रकाश डालते हैं।
जानें क्या होता है हड्डी का ट्यूमर
डॉक्टर नंदन बताते हैं कि हड्डी का ट्यूमर हड्डी की कोशिकाओं की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि है, जो हड्डी के भीतर एक गांठ या मास का रूप ले लेती है। अधिकांश हड्डी के ट्यूमर सौम्य (बेनीन) होते हैं और जानलेवा नहीं होते, लेकिन घातक (मेलिग्नेंट) ट्यूमर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं और समय पर उपचार की आवश्यकता होती है।
सभी आयु वर्गों को प्रभावित कर सकते हैं ट्यूमर
हड्डी के ट्यूमर सभी आयु वर्गों को प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों और किशोरों में सौम्य ट्यूमर अधिक सामान्य होते हैं, जबकि बुजुर्गों में मेटास्टैटिक हड्डी का कैंसर अधिक पाया जाता है। पहले की रेडिएशन थेरेपी, आनुवंशिक सिंड्रोम और अनुपचारित हड्डी के मास जैसे कारक जोखिम बढ़ा सकते हैं।
दर्द रहित या दर्दयुक्त सूजन के रूप में सामने आते हैं सामने
हड्डी के ट्यूमर अक्सर दर्द रहित या दर्दयुक्त सूजन के रूप में सामने आते हैं और कुछ मामलों में रोगजन्य (पैथोलॉजिकल) फ्रैक्चर भी हो सकते हैं। रात में दर्द, तेजी से बढ़ती सूजन और प्रभावित हिस्से के आसपास मांसपेशियों का क्षय जैसे लक्षण सामान्य हैं। निदान में आमतौर पर एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन और पुष्टि के लिए बायोप्सी शामिल होती है।
कम हुई अंग विच्छेदन की आवश्यकता
डॉ.नंदन कहते हैं कि कीमोथेरेपी और सर्जिकल तकनीकों में प्रगति के कारण अब 95% मामलों में अंग-संरक्षण (लिंब-स्पेयरिंग) सर्जरी की जाती है, जिससे अंग विच्छेदन की आवश्यकता काफी कम हो गई है। उपचार व्यक्तिगत रूप से तय किया जाता है, जिसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन और कुछ मामलों में सौम्य आक्रामक ट्यूमर के लिए क्रायोसर्जरी शामिल होती है। कहते हैं कि सफल परिणाम प्रारंभिक निदान, सटीक स्टेजिंग और बहु-विषयक उपचार दृष्टिकोण पर आधारित होते हैं। मेटास्टेसिस या पुनरावृत्ति की निगरानी के लिए नियमित फॉलो-अप आवश्यक है।
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