Bhiwani News : 12 जुलाई 2025 को “श्री गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव 2025” का भव्य आयोजन

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Bhiwani News : 12 जुलाई 2025 को "श्री गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव 2025" का भव्य आयोजन
सिद्धगुरुवर सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव।

(Bhiwani News) भिवानी। राजधानी दिल्ली आगामी 12 जुलाई 2025 को एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। तालकटोरा इंडोर स्टेडियम (एनडीएमसी) में “श्री गुरु पूर्णिमा महामहोत्सव 2025” का भव्य आयोजन किया जाएगा। जिसमें देश और विदेश से भारी संख्या भक्तजन इस कार्यक्रम में भाग लेंगे। यह आयोजन विश्व धर्म चेतना मंच–एनसीआर दिल्ली के तत्वावधान में और श्री सिद्धेश्वर तीर्थ ब्रह्मर्षि आश्रम, तिरुपति के सौजन्य से किया जा रहा है।

इस कार्यक्रम की सबसे विशेष बात यह है कि इसमें स्वयं सिद्धगुरुवर सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव का दिव्य सानिध्य और सत्संग प्राप्त होगा, जिनकी एक दृष्टि जीवन की दिशा और दशा दोनों को रूपांतरित कर देती है। यह जानकारी देते हुए विश्व धर्म चेतना मंच भिवानी अध्यक्ष नरेश मीनू अग्रवाल ने बताया कि जब धरा पर अधर्म, अज्ञान और अव्यवस्था का अंधकार गहराता है, तब कोई दिव्य चेतना स्वयं प्रकट होकर मानवता को प्रकाश का मार्ग दिखाती है।

एक विराट आत्मिक जागरण का महोत्सव

यह आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक विराट आत्मिक जागरण का महोत्सव होगा। इस कार्यक्रम को लेकर राम कुंज सत्संग भवन में एक विशेष मीटिंग का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सुरेश वर्मा, सुधीर जैन, विवेक चौधरी, केसरी शर्मा व राममेहर शर्मा सहित काफी लोग उपस्थित थे

नरेश मीनू अग्रवाल ने बताया कि सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव केवल एक संत नहीं, बल्कि एक जाग्रत ब्रह्मर्षि हैं—जिनका जीवन योग, ज्ञान, सेवा और करुणा का आदर्श समन्वय है। जन्म से ही जिनके सप्त चक्र जाग्रत हैं, कुंडलिनी ऊर्जा पूर्णत: ऊर्ध्वगामी है, और जिनकी अंतर्यामी दृष्टि करोड़ों श्रद्धालुओं के जीवन को दिशा प्रदान कर रही है।

गुरुदेव ने न केवल वेद, उपनिषद, बाइबिल, कुरान, आगम-निगम जैसे समस्त धर्मग्रंथों को आत्मसात किया है, बल्कि ज्योतिष, आयुर्वेद, तंत्र, योग और संस्कृत के गूढ़ रहस्यों में भी पूर्ण पारंगत हैं। अब तक विश्व के 192 देशों में यात्रा कर वे मानवता, शांति और समरसता का संदेश दे चुके हैं।

उनका उद्देश्य है एक ऐसा विश्व जहाँ न कोई जातिवाद हो, न सम्प्रदाय, केवल मानव धर्म और सह-अस्तित्व का भाव हो। गुरु पूर्णिमा, भारतीय संस्कृति में वह दिन है जब शिष्य अपने गुरु के प्रति श्रद्धा, समर्पण और आत्मोत्थान की भावना से ओतप्रोत होकर उनकी कृपा प्राप्त करता है। यह पर्व आत्मा और परमात्मा के मध्य सेतु बनकर जीवन को नई दिशा प्रदान करता है। सिद्धगुरुवर सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव, इस अवसर पर हजारों साधकों को अपने शक्ति संचार और प्रबुद्ध वाणी से एक नए जीवन बोध की ओर अग्रसर करेंगे।

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