Bhadrapada Purnima: भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितंबर को, विधि-विधान से करें भगवान विष्णु की पूजा

0
79
Bhadrapada Purnima: भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितंबर को, विधि-विधान से करें भगवान विष्णु की पूजा
Bhadrapada Purnima: भाद्रपद पूर्णिमा 7 सितंबर को, विधि-विधान से करें भगवान विष्णु की पूजा

भाद्रपद पूर्णिमा के व्रत को करने से सभी कष्ट होंगे दूर
Bhadrapada Purnima, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की पूर्णिमा विशेष महत्व है। इस साल भाद्रपद पूर्णिमा 07 सितंबर 2025, रविवार को पड़ेगी और चंद्रमा शाम 06:26 बजे उदय होगा। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री विष्णु की विधि-विधान से पूजा, व्रत, जप आदि करने से श्री हरि विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जिस भाद्रपद पूर्णिमा के व्रत को करने से सभी कष्ट दूर ओर कामनाएं पूरी होती हैं, आइए उसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं।

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

  • भाद्रपद पूर्णिमा व्रत को करने के लिए व्यक्ति को इस दिन प्रात:काल सूर्य देवता के उदय होने से पहले उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए।
  • ईशान कोण में एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा या फिर तस्वीर रखें और उसे शुद्ध जल से पवित्र करें।
  • श्री हरि की फल-फूल, रोली-चंदन, धूप-दीप, मिठाई, पंचामृत आदि को अर्पित करने के बाद सत्यनारायण व्रत की कथा कहनी चाहिए।
  • पूजा के अंत में सत्य नारायण भगवान की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
  • भाद्रपद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने वाले भक्त को सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक भोजन और यदि संभव हो तो जल भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • हालांकि यह नियम बुजुर्ग, बीमार और बच्चों पर लागू नहीं होता है। ऐसे लोग अपनी दवा आदि के सेवन के साथ दिन भर में आवश्यकता अनुसार फल और दूध आदि का सेवन कर सकते हैं।
  • इस व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है।
  • भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत शाम के समय उगते हुए चंद्र देवता को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होता है।

भाद्रपद पूर्णिमा पर कैसे करें चंद्र देवता की पूजा

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन न सिर्फ श्री हरि और माता लक्ष्मी का बल्कि चंद्र देवता का भी विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण चमक के साथ नजर आता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्र देवता की पूजा से भी कुंडली का चंद्र दोष और मानसिक चिंताएं दूर होती हैं।

हिंदू मान्यता के अनुसार यदि पूर्णिमा की शाम को पति और पत्नी स्नान करके चंद्र देवता को एक साथ दूध और जल से अर्घ्य देते हैं तो उन्हें सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

ये भी पढ़ें : आज चंद्रमा वृश्चिक राशि में करेंगे संचरण