आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को अधिक मजबूत और इंटलिजेंस आधारित सुरक्षा तंत्र विकसित करने के दिए निर्देश
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मंगलवार को देश के बैंकर्स के साथ एक अहम बैठक की। इस दौरान गवर्नर ने सबसे ज्यादा जोर बैंक ग्राहकों की डिजिटल सुरक्षा पर देते हुए कहा कि बढ़ते डिजिटल अपराध बहुत बड़ा खतरा हैं।
बैठक के दौरान संजय मल्होत्रा ने बैंकों को शिकायतों के निपटान में तेजी लाने और अपनी आंतरिक प्रणालियों को सुदृढ़ करने का निर्देश दिया। डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते दायरे के साथ उन्होंने साइबर सुरक्षा पर विशेष चिंता जताई। गवर्नर ने कहा कि डिजिटल धोखाधड़ी से बढ़ते जोखिमों से निपटने के लिए बैंकों को अधिक मजबूत और इंटेलिजेंस-आधारित सुरक्षा तंत्र विकसित करने होंगे।
ब्याज दरों में कटौती का दें लाभ
इस दौरान आरबीआई गवर्नर ने साफ-साफ कहा कि एमपीसी की ओर से नीतिगत दरों में की गई कटौती का लाभ बैंक आम ग्राहकों तक जल्दी पहुंचाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सतत आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए यह कदम जरूरी है। मंगलवार को मुंबई में आयोजित इस उच्च स्तरीय बैठक में सार्वजनिक और चुनिंदा निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शामिल हुए।
खपत और निवेश में बढ़ावा देने पर रखें फोकस
बैठक के दौरान गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि फरवरी 2025 से अब तक केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कुल 125 आधार अंकों (1.25%) की कटौती की है, जिससे प्रमुख नीतिगत दर 5.25 प्रतिशत पर आ गई है। गवर्नर ने बैंकर्स से कहा कि इस कटौती का सीधा फायदा कर्जदारों को मिलना चाहिए ताकि खपत और निवेश को बढ़ावा मिल सके। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत ने 8 प्रतिशत की शानदार जीडीपी वृद्धि दर दर्ज की है, इसे बनाए रखने के लिए आरबीआई सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने पर जोर दे रहा है।
बैंकों के परिचालन सुधरने पर जताई खुशी
बैंकिंग सेक्टर की सेहत पर संतोष जताते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वर्ष 2025 में बैंकों के परिचालन और वित्तीय स्वास्थ्य में लगातार सुधार देखा गया है। हालांकि, उन्होंने को चेताते हुए कहा, “बदलते आर्थिक परिवेश में बैंकों को आत्मसंतोष से बचना चाहिए और उन्हें लगातार सतर्क रहने की जरूरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि ब्याज दरों में 125 बेसिस पॉइंट्स की कमी और तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से बैंकों की मध्यस्थता लागत कम होनी चाहिए, जिससे दक्षता बढ़ेगी और वित्तीय समावेशन को मजबूती मिलेगी।
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