Assam Movement: प्रधानमंत्री ने आंदोलन में शामिल वीरों के पराक्रम को किया याद

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Assam Movement
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

PM Modi On Assam Movement, (आज समाज), नई दिल्ली: आज असम आंदोलन का शहीद दिवस है और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंदोलन में हिस्सा लेने वाले वीरों की बहादुरी को नमन किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, आज असम आंदोलन के शहीद दिवस पर, हम उन सभी वीरों की बहादुरी को याद करते हैं जो इस मूवमेंट का हिस्सा रहे थे।

प्रदेश की प्रगति के लिए हम प्रतिबद्ध : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारा इतिहास असम आंदोलन को हमेशा एक विशेष जगह देता रहेगा। उन्होंने कहा, इस मूवमेंट में शामिल होने वालों के सपनों को पूरा करने की हम अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं। मोदी ने कहा, खासकर हम असम की संस्कृति को मजबूत करने व राज्य की चौतरफा प्रगति के लिए बचनबद्ध हैं।

जाने किसने, कब और क्यों शुरू किया था आंदोलन

बता दें कि असम आंदोलन अखिल असम छात्र संघ (एएएसयू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजीएसपी) ने 1979 में खासतौर पर बांग्लादेश से अवैध विदेशियों के असम में लगातार प्रवेश के विरोध में शुरू किया था। इसके बाद 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक असम समझौते पर दस्तखत किए और उसके बाद यह मूवमेंट समाप्त हुआ था।

शांति समझौते में दिया गया था यह आश्वासन

ऐतिहासिक असम शांति समझौते में राज्य में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे विदेशियों का पता लगाने के साथ ही उन्हेें वापस भेजने का भरोसा दिया गया था। यही नहीं, इस समझौते के तहत असम के लोगों की भाषाई पहचान के साथ उनकी सामाजिक, सांस्कृतिक व विरासत की रक्षा तथा संरक्षण के लिए भी संवैधानिक, विधायी और प्रशासनिक सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया गया था।

1979 से 1985 तक बनी रही अशांति 

बता दें कि समूचे असम में 1979 से 1985 तक धरना, बंद, नाकेबंदी व अन्य विरोध प्रदर्शनों के कारण अशांति बनी रही। इस दौरान में ये घटनाएं आम हो गई थी। आरोप है कि इन विरोध प्रदर्शनों में सरकार के निर्देश पर कार्रवाई में 850 से अधिक युवक मारे गए। बताया जाता है कि आंदोलन को समाप्त करके शांति बहाली के मकसद से सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। आंदोलन के लगभग 40 वर्ष बाद भी यह अपना महत्व खोता प्रतीत होता है। खासकर उन 850 से ज्यादा युवाओं के परिजनों के लिए, जिन्होंने आंदोलन में अपने प्राण त्याग दिए थे।

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