Business News Hindi : अमेरिका की वित्तीय स्थिति खतरनाक मोड़ पर खड़ी : विशेषज्ञ

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Business News Hindi : अमेरिका की वित्तीय स्थिति खतरनाक मोड़ पर खड़ी : विशेषज्ञ
Business News Hindi : अमेरिका की वित्तीय स्थिति खतरनाक मोड़ पर खड़ी : विशेषज्ञ

कहा, अमेरिकी सरकार लगभग 7 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेगी और लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर कमाएगी

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान में विश्व के ज्यादात्तर देश जिस समस्या से जूझ रहे हैं वह है अमेरिकी टैरिफ। ज्ञात रहे कि दूसरी बार अमेरिका का राष्टÑपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने जो सबसे बड़ा कदम उठाया वह था विश्व के उन देशों पर नई टैरिफ दरें लागू करना जिनसे वह व्यापार कर रहा था। अमेरिकी राष्टÑपति के इस कदम से न केवल विश्व के अधिकांश देशों में अनिश्चित्ता की स्थिति उत्पन्न हो गई बल्कि खुद अमेरिका के लिए भी यह कदम आत्मघाती साबित होते दिखाई दे रहे हैं।

इस संबंध में जाने-माने हेज फंड मैनेजर रे डेलियो ने अमेरिका के बढ़ते कर्ज को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका एक ऐसे वित्तीय ‘मोड़’ पर पहुंच रहा है, जहां कर्ज की आपूर्ति मांग से ज्यादा हो सकती है। इससे एक ऐसा संकट आ सकता है जिसे ठीक करना मुश्किल होगा।

कमाई से 40 प्रतिशत ज्यादा खर्च रहा अमेरिका

डेलियो ने सीधे शब्दों में कहा कि इस साल। इसलिए यह अपनी कमाई से 40% ज्यादा खर्च करेगी। कर्ज अब उसकी कमाई का लगभग छह गुना है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति 1 लाख रुपये कमाता है, तो उस पर 6 लाख रुपये का कर्ज है। डेलियो के अनुसार, अमेरिका को अगले साल अकेले 12 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना होगा या उसे फिर से जारी करना होगा। इसमें लगभग 9 ट्रिलियन डॉलर परिपक्व हो रहे कर्ज हैं और 2 ट्रिलियन डॉलर नए कर्ज हैं जो घाटे को पूरा करने के लिए जारी किए जाएंगे।

ब्याज के रूप में भी भारी भरकम रकम चुका रहा

इसके अलावा 1 ट्रिलियन डॉलर सिर्फ ब्याज चुकाने में जाएंगे, जो बजट घाटे का आधा है। उन्होंने चेतावनी दी, ‘आपको बहुत सारा कर्ज बेचना होगा। हम अब एक ऐसे बिंदु पर हैं जहां बहुत सारा कर्ज जुड़ जाएगा, जो एक लेवल के करीब है।’ इसका मतलब है कि अमेरिका कर्ज के मामले में खतरे के निशान के करीब है। डेलियो ने फेड के पूर्व अध्यक्षों, केंद्रीय बैंक के प्रमुखों और ट्रेजरी अधिकारियों के साथ हुई बातचीत का हवाला दिया. फिर भी, उन्होंने इसे एक ‘राजनीतिक समस्या’ बताया। कानूनविद निजी तौर पर मानते हैं कि घाटे को स्थिर करने के लिए टैक्स में वृद्धि और खर्च में कटौती की आवश्यकता है।

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