जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Shakambhari Navratri, (आज समाज), नई दिल्ली: शाकंभरी नवरात्र हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह देवी दुर्गा के अवतार मां शाकंभरी को समर्पित है। मां शाकंभरी को फल, फूल, अन्न और सब्जियों की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जब धरती पर भीषण अकाल पड़ा था और चारों ओर हाहाकार मच गया था, तब मां दुर्गा ने यह अवतार लेकर भक्तों की रक्षा की थी। इसलिए उन्हें ‘शाकंभरी’ कहा जाता है। यह नवरात्र पौष महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होकर पूर्णिमा तिथि तक मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्य रूप से राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।
शाकंभरी नवरात्र कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शाकंभरी नवरात्र 28 दिसंबर 2025 से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 03 जनवरी 2026 को होगा। इस साल शाकंभरी नवरात्र 9 नहीं 8 दिनों के होंगे।
शाकंभरी नवरात्र की पूजा विधि
- नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है, जैसे चैत्र या शारदीय नवरात्र में की जाती है।
- मां शाकंभरी की प्रतिमा स्थापित करें या चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की ही तस्वीर रखें। उन्हें लाल चुनरी समेत अन्य 16 शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
- मां को फल, सब्जी और मिठाई का भोग लगाएं।
- मां शाकंभरी की पूजा के दौरान ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति शाकंभरी देव्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ कर आरती करें।
- इस नवरात्र के दौरान गरीबों और जरूरतमंदों को सब्जियों, फलों और अनाज का दान करें। इससे अन्न-धन की कमी दूर होती है।
- अष्टमी और पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा और हवन किया जाता है। साथ ही पूर्णिमा के दिन ही व्रत का समापन होता है।
- इस दौरान सभी तरह की तामसिक चीजों से दूर रहें।
पूजा मंत्र
- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरी अन्नपूर्णा स्वाहा॥
- ॐ महानारायण्यै च विदमहे महादुगार्यै धीमहि तन्नो शाकम्भरी: प्रचोदयात्॥
- ॐ सवार्बाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:॥
- शाकै: पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा। शङ्कर्यष्टफलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु माम्॥


