हरियाणा सरकार ने ग्रुप-बी भर्ती नियमों में किया संशोधन किया
Chandigarh News (आज समाज) चंडीगढ़: हरियाणा में अब उप निदेशक भर्ती में यूजीसी-नेट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। उप निदेशक भर्ती में यूजीसी-नेट अब जरूरी नहीं रहेंगा। यह फैसला गत दिवस हुई हरियाणा कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। यह कदम एचपीएससी द्वारा योग्यता मानदंडों में संशोधन करने की सलाह के बाद उठाया गया है।
इसके अलावा, सभी पदों के लिए मैट्रिक या उच्च शिक्षा स्तर पर हिंदी या संस्कृत को एक विषय के रूप में अनिवार्य करने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। बैठक में कर्मचारियों से जुड़े हुए 2 और अहम फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले भी कर्मचारियों के हित में फैसले लेती रही है और आगे भी ऐसा करती रहेगी।
ग्रुप-बी सर्विस रूल में किया संशोधन
हरियाणा की कैबिनेट मीटिंग में महिला एवं बाल विकास विभाग से जुड़े ग्रुप-बी सेवा नियम, 1997 में अहम बदलावों को मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि इन संशोधनों से नियमों को वर्तमान प्रशासनिक और भर्ती जरूरतों के अनुसार बनाया जा सकेगा।
पदों के नाम, वेतनमान और शैक्षणिक योग्यता को किया अपडेट
बदलावों में पदों के नाम, वेतनमान और शैक्षणिक योग्यता को अपडेट किया गया है, साथ ही विभाग में नए पदों को भी सर्विस रूल में शामिल किया गया है। पहले की सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) और कार्यक्रम अधिकारी (महिला) के पदों का नाम बदलकर अब महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) और जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला) कर दिया गया है, जिसे नियमों में दशार्ने के लिए जरूरी संशोधन किए गए हैं।
नए पदों को सेवा नियमों में शामिल किया
इसके अतिरिक्त, विभागीय सेवा नियम, 1997 के नियम 14 को हरियाणा सिविल सेवा (दंड एवं अपील) नियम, 1987 के संदर्भों को संशोधित 2016 नियमों से प्रतिस्थापित करने के लिए अपडेट किया गया है।
चरखी दादरी जिले के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं अधीक्षक तथा पपलोहा (पिंजौर) स्थित पंजीरी प्लांट के प्रबंधक सहित नवसृजित पदों को भी सेवा नियमों में शामिल कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त, मौजूदा नियमों में वेतनमानों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपडेट किया गया है।
50% कोटे वाली दो अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताओं का प्रावधान हटाया
हरियाणा लोक सेवा आयोग की आपत्तियों के बाद, भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए, महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी (महिला) के पद के लिए 50% कोटे वाली दो अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताओं का प्रावधान हटा दिया गया है।
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