साल की सबसे बड़ी और विशेष एकादशी मानी जाती है प्रबोधनी एकादशी
Devuthani Ekadashi, (आज समाज), नई दिल्ली: देवउठनी एकादशी साल की सबसे बड़ी और विशेष एकादशी मानी जाती है। इसे देवोत्थान और प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं। भगवान के जागने के साथ ह चार्तुमास का समापन हो जाता है। इसके बाद विवाह समेत तमाम मांगलिक काम शुरू कर दिए जाते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी एक नवंबर को मनाई जाने वाली है।
देवउठनी एकादशी के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। व्रत रखा जाता है। देवउठनी एकादशी पर बिना मुहूर्त के भी शादियां संपन्न होती हैं। इसे शुभ विवाह के रूप में माना जाता है, लेकिन इस बार देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त नहीं है। इस दिन विवाह को छोड़कर अन्य मांगलिक काम होंगे। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त न होने का कारण क्या है?
सूर्य की चाल की वजह से नहीं होंगे विवाह
माना जा रहा है कि सूर्य की चाल की वजह से इस बार देवउठनी एकादशी पर विवाह का मुहूर्त नहीं है। इस बार देवउठनी एकादशी के दिन सूर्य शुक्र के स्वामित्व वाली राशि तुला में रहेंगे। 16 नवंबर तक तुला संक्राति दोष रहेगा।
इसी कारण एक नवंबर यानी देवउठनी एकादशी के दिन कोई विवाह मुहूर्त नहीं है। ऐसा 16 नंवबर तक रहेगा। माना जाता है कि जब तक सूर्य वृश्चिक में राशि नहीं प्रवेश नहीं करते, तब तक विवाह नहीं होते। 16 नवंबर को सूर्य का वृश्चिक राशि में प्रवेश हो जाएगा। इसके बाद विवाह शुरू हो जाएंगे।
नवंबर-दिसंबर में विवाह मुहूर्त
नवंबर के महीने में 21 तारीख से विवाह शुरू हो जाएंगे। नवंबर माह में 21 से 25 तारीख और 29, 30 तारीख को विवाह मुहूर्त हैं। इस माह में सात दिन विवाह मुहूर्त है। दिसंंबर माह में 1, 4, 5, और 6 तारीख को विवाह के मूहूर्त हैं। इस माह चार दिन विवाह होंगे। फिर अगले साल यानी 2026 में जनवरी माह में एक भी विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि जनवरी माह में शुक्र ग्रह अस्त हो रहे हैं। अगले साल फरवरी से विवाह के मुहूर्त हैं।
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