India GDP Growth Rate : एसएंडपी ने भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% बरकरार रखी

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India GDP Growth Rate : एसएंडपी ने भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% बरकरार रखी
India GDP Growth Rate : एसएंडपी ने भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% बरकरार रखी

मंगलवार को रुपए में रिकॉर्ड गिरावट के बावजूद एसएंडपी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर जताया विश्वास

India GDP Growth Rate (आज समाज), बिजनेस डेस्क : एक तरफ जहां भारत वर्तमान में अमेरिकी टैरिफ सहित कई बड़ी वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है तो वहीं रुपया भी लगातार गिरावट के साथ अपनी कीमत खो रहा है। मंगलवार को रुपया 88.82 रुपए प्रति डॉलर के अपने निम्न स्तर पर पहुंच गया। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भविष्य में नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

लेकिन इस सबके बीच अंतरराष्टÑीय रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास जताते हुए मंगलवार को चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। रेटिंग एजेंसी ने मोटे तौर पर अनुकूल रहे मानसून के बीच मजबूत घरेलू मांग का हवाला देते हुए यह अनुमान लगाया है।

आरबीआई कर सकता है दरों में कटौती

एसएंडपी ने यह भी कहा कि उसे इस वित्त वर्ष में आरबीआई की ओर से 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अपने पूवार्नुमान को घटाकर 3.2 प्रतिशत कर दिया है। अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ी। एसएंडपी ने एक बयान में कहा कि हमारा अनुमान है कि इस वित्त वर्ष (31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाला वर्ष) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। हमारा अनुमान है कि घरेलू मांग मजबूत बनी रहेगी, जिसे मोटे तौर पर सौम्य मानसून, आयकर और वस्तु एवं सेवा कर में कटौती तथा सरकारी निवेश में तेजी से मदद मिलेगी।

भारत की मुद्रास्फीति दर भी रहेगी कम

एसएंडपी ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में अपेक्षा से अधिक कमी से चालू वर्ष में मुद्रास्फीति को कम रखने में मदद मिलेगी। एसएंडपी ने कहा कि इससे मौद्रिक नीति में और अधिक समायोजन की गुंजाइश बनती है, तथा हमारा अनुमान है कि इस वित्तीय वर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की जाएगी। ए सएंडपी ने अपनी रिपोर्ट ‘एशिया-प्रशांत तिमाही 4 2025: बाह्य दबाव से विकास में कमी’ में कहा कि पूरे क्षेत्र में अपेक्षाकृत लचीली घरेलू मांग से अमेरिकी आयात शुल्क में वृद्धि और धीमी वैश्विक वृद्धि के बाद मजबूत बाह्य प्रतिकूल परिस्थितियों का प्रभाव कम हो जाएगा।

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