सूर्यदेव की पूजा करने पर मिलेगा दोगुना फल
Vrishchik Sankranti, (आज समाज), नई दिल्ली: वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 16 नवंबर को वृश्चिक संक्रांति है। यह पर्व हर महीने सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर सूर्य देव तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। वृश्चिक संक्रांति के दिन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान के बाद सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही आर्थिक स्थिति अनुसार दान किया जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो वृश्चिक संक्रांति के दिन प्रीति और शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा करने से साधक को आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार संकटों से मुक्ति मिलती है।
- प्रीति योग: वृश्चिक संक्रांति के शुभ अवसर पर मंगलकारी प्रीति योग का संयोग बन रहा है। प्रीति योग का संयोग देर रात तक है। प्रीति योग में सूर्य देव की पूजा, जप-तप करने से साधक को आरोग्य जीवन का सुख मिलेगा। ज्योतिष प्रीति योग को शुभ मानते हैं। मत है कि प्रीति योग में सूर्य देव की पूजा करने से करियर संबंधी परेशानी दूर होगी।
- शिववास योग: ज्योतिषियों की मानें तो वृश्चिक संक्रांति के शुभ अवसर पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। अगहन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर भगवान शिव कैलाश पर नंदी की सवारी करेंगे। इस योग में सूर्य देव की पूजा करने से जातक पर सूर्य देव की भी कृपा बरसेगी। इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है।
पंचांग
- सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर
- सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 29 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 01 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक
- विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक
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