लम्पी रोग को लेकर डीसी की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक

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Review meeting held under the chairmanship of DC regarding lumpi disease

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :

  • जिला में हो चुका सभी गौधन का वैक्सीनेशन
  • लम्पी रोग को लेकर जिला में कंट्रोल रूम स्थापित
  • जिला प्रशासन लम्पी रोग के नियंत्रण को लेकर पूरी तरह से सजग : उपायुक्त

हरियाणा सरकार व जिला प्रशासन लम्पी रोग के नियंत्रण को लेकर पूरी तरह से सजग है। इसके फैलाव को नियंत्रित करने के लिए जिला महेंद्रगढ़ में सभी गौधन का वैक्सीनेशन कर दिया गया है। इस संबंध में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए जिला में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कंट्रोल रूम पर तैनात कर्मचारी तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें। यह निर्देश उपायुक्त डॉ. जयकृष्ण आभीर ने आज जिला में लम्पी रोग को लेकर हुई समीक्षा बैठक में अधिकारियों को दिए।

डीसी ने निर्देश दिए कि पशु पालक विभाग द्वारा जारी हिदायतों की पालना करें। गौशालाओं में जैवसुरक्षा के उपाय अपनाए जाएं। बाहरी व्यक्ति और पशुओं के आवागमन पर प्रतिबंधन, गौशालाओं में मक्खी मच्छर आदि बाहरी परजीवियो के नियंत्रण के लिए साफ सफाई, कीटनाशक दवाओं का उचित प्रयोग के साथ-साथ अन्य उपायों जैसे की बीमारीयों से लड़ने के प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए खनिज मिश्रण का उपयोग करें।

उपायुक्त ने निर्देश दिए कि शहरी क्षेत्रों में नगर परिषद व नगर पालिका तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत विभाग के अधिकारी सक्रिय रहें। जहां भी इस रोग से पशुओं की मौत की सूचना मिले तो तुरंत उसको सरकार की गाइड लाइन के अनुसार दफनाने का कार्य किया जाए।

उन्होंने निर्देश दिए कि अभी पशुओं के मूवमेंट पर पूरी तरह से रोक रहेगी तथा जिला में पशुओं का मेला भी नहीं लगेगा। डीसी ने आम नागरिकों से भी आह्वान किया है कि वे किसी भी प्रकार की अफवाहों पर ध्यान ना दें। पशु चिकित्सक के अनुसार लंपी रोग से पीड़ित पशुओं का दूध कोई नुकसान नहीं करता। दूध को इंसान उबालकर ही पीते हैं। ऐसे में दूध में किसी प्रकार की नुकसानदायक चीज नहीं होती।

सभी गौधन का वैक्सीनेशन हो चुका

उन्होंने बताया कि लंपी रोग से बचाव के लिए जिला के सभी गौधन का वैक्सीनेशन हो चुका है। जिला में 59 हजार गोधन का बचाव रोधी टीकाकरण हो चुका है। कुछ पशु बाहरी राज्यों से आए हुए हैं। यह इंजेक्शन 4 माह से अधिक उम्र के पशु को ही लगाया जाता है। जिस पशु को इस रोग के लक्षण है उसे यह इंजेक्शन नहीं लगाया जाता।

इस बैठक में एसडीएम नारनौल मनोज कुमार, एसडीएम कनीना सुरेंद्र कुमार, नगराधीश डॉ. मंगलसेन तथा उपनिदेशक पशुपालन डॉ. नसीब सिंह के अलावा अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

ये हैं हेल्पलाइन व कंट्रोल रूम नंबर

उपायुक्त डॉ. जयकृष्ण आभीर ने बताया कि लंपी रोग की रोकथाम के लिए लुवास की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। कोई भी पशुपालक 9300000857 तथा 9485737001 पर इस बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इसके अलावा मृत पशुओं की सूचना के लिए कंट्रोल रूम नंबर 01282-250221 पर सूचना दी जा सकती है।

परजीवियो पर नियंत्रण करें पशुपालक

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. नसीब सिंह ने बताया कि लम्पी रोग परजीवियो से भी संक्रमित पशुओं से स्वस्थ पशु में फैलता हैं। ऐसे में जरुरी हैं की रोग के गौवंश में इस रोग से बचाने के लिए इन परजीवियो पर नियंत्रण करें।

पशुपालक चूने व फिटकरी का उचित उपयोग करें। नीम के पानी का भी प्रयोग कर सकते हैं। पशुपालक 1 प्रतिशत फोर्मलिन या ब्लीचिंग पाउडर (2-3 प्रतिशत) जीवनु-नाश्क स्प्रे का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ-साथ ही गौशाला में इस रोग को फैलाने में सहयोगी मक्खी, मच्छर, चिचड़ आदि न पनपे, इसके लिए पानी व गंदगी का जमाव न होने दें। लक्षण दिखने पर पशु को तुरंत आइसोलेट करें।

पड़ोसी राज्यों से यदि कोई पशु गौशाला में आता भी हैं तो उसे अलग से निगरानी बाड़े में रखे। साथ ही गौशाला के पशुओं में यदि लम्पी रोग के लक्षण जैसे तेज बुखार, आंख-नाक से पानी आना, शरीर में विशेष प्रकार की गांठे बनना आदि दिखाई दें तो उसे जल्द से जल्द अलग करना चाहिए ताकि यह रोग स्वस्थ पशुओं में न फैले व चिकित्सीय सलाह लें।

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