Pradosh Vrat 14 को रखें शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत

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Pradosh Vrat
Shiv parvati

Pradosh Vrat 14 को रखें शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत

आज समाज डिजिटल, अम्बाला:
Pradosh Vrat : सत्यम् शिवम् सुन्दरम् अर्थात् शिव ही सत्य है। शिव नाम ही जीवन के मोक्ष का मार्ग है जोकि समुंद्र मंथन के समय स्वयं ही विष पीकर देवताओं व विश्व के हित का कार्य किया। मनुष्य शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा। शिव प्रदोष व्रत को शास्त्रों में सर्वसुख प्रदान करने वाला बताया गया है। माह में दो बार शुक्ल व कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है।

शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 14 फरवरी दिन सोमवार को है जोकि शिव जी की दिन ही माना जाता है। सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने पर अत्याधिक महत्वपूर्ण मानाा जाता है। व्रत से चन्द्रमा शुभ फल देता है। प्रदोष व्रत के दिन तीन शुभ योग का अद्भुत योग बन रहा है। pradosh-vrat

प्रदोष व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग pradosh-vrat

14 फरवरी दिन सोमवार के दिन प्रदोष व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और आयुष्मान योग का अद्भुत संयोग बना रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 15 फरवरी को प्रात: 07 बजे तक रहेगा। रवि योग दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर सर्वार्थ सिद्धि योग के समय तक बना रहेगा। आयुष्मान योग रात 09 बजकर 29 मिनट तक है फिर सौभाग्य योग शुरू हो जाएगा।

Somvar Vrat Ki Katha In Hindi

प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat)

प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक की जाती है। प्रात: स्नान कर हल्के लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र धारण करना शुभ रहता है। चांदी के लोटे से शहद धारा के साथ शिवलिंग पर अर्पण करके शुद्ध जल से अभिषेक करें तथा ॐ सर्वसिद्धि प्रदाये नम: मन्त्र अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप का 108 बार जाप करें।

प्रदोष व्रत का महत्व pradosh-vrat

हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन भगवान शिव अराधना करने से सारे कष्ट दूर होते हैं व मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। वेद-पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत करने का फल दो गायों को दान जितना होता है। इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था। कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अन्याय की राह पर जा रहे होंगे उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेगा और अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेगा।

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