जानें कारण और निवारण के उपाय
Pitra Dosh, (आज समाज), नई दिल्ली: हिंदू धर्म और ज्योतिष में पितृ दोष को एक गंभीर दोष माना जाता है। यह वह दोष है जो व्यक्ति के जीवन को गहराई तक प्रभावित करता है। माना जाता है कि जब पूर्वज असंतुष्ट या अतृप्त रह जाते हैं, तो उनके वंशजों को इस दोष का सामना करना पड़ता है।
इसका असर सिर्फ एक पीढ़ी तक नहीं रहता, बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।यदि आपके जीवन में लगातार आर्थिक तंगी, घर में कलह-क्लेश और संतान प्राप्ति में बाधा जैसी समस्याएं आ रही हैं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है पितृ दोष, इसके प्रमुख लक्षण और इससे मुक्ति पाने के सरल उपाय क्या हैं।
पितृ दोष क्या है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कुंडली में सूर्य और राहु (या कभी-कभी शनि, केतु) की युति होती है या कुछ विशेष ग्रह स्थितियां बनती हैं, तो इसे पितृ दोष कहा जाता है।
नवम भाव (धर्म और पिता का भाव) और पंचम भाव (संतान का भाव) में राहु-केतु की उपस्थिति भी इसे जन्म देती है। यह फिर ये दोष तब भी लग सकता है जब पूर्वजों को सही विधि-विधान से तर्पण, श्राद्ध या अंतिम संस्कार न किया गया हो, या फिर वे किसी वजह से वें दुखी या नाराज हों।
पितृ दोष के प्रमुख लक्षण
पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं। ये लक्षण अक्सर जीवन के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं धन, शांति और वंश वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
- आर्थिक तंगी और कंगाली: व्यापार-नौकरी में बाधा: कड़ी मेहनत के बाद भी व्यापार में लगातार घाटा होना या नौकरी में तरक्की न मिलना।
- धन का अभाव: आय के साधन होते हुए भी धन का न रुकना और कर्ज में डूबते जाना।
- सफलता से दूरी: जीवन में हर कार्य में भटकाव रहना और सफलता का दूर रहना।
- पारिवारिक विवाद: परिवार के सदस्यों के बीच बिना किसी ठोस वजह के लगातार लड़ाई-झगड़े और विवाद होना।
- बीमारी: घर में कोई न कोई व्यक्ति हमेशा बीमार बना रहना, बच्चों का बार-बार अस्वस्थ होना।
- विवाह में देरी: विवाह होने में अनावश्यक देरी या शादी के बाद पति-पत्नी के रिश्तों में अत्यधिक तनाव और झगड़ा होना।
- नकारात्मक संकेत: घर में अचानक से पीपल के पौधे का उगना या तुलसी के पौधे का सूख जाना भी पितृ दोष का संकेत माना जाता है।
- संतान प्राप्ति में मुश्किल: लाख प्रयासों के बाद भी संतान प्राप्ति में बाधा आना।
- गर्भपात या गर्भधारण में समस्या: महिलाओं को बार-बार गर्भधारण में समस्या आना या गर्भपात हो जाना।
- संतान का बुरा आचरण: यदि संतान हो भी जाए, तो उनका बुरे आचरण वाला होना या पढ़ाई में मन न लगना।
पितृ दोष से मुक्ति के अचूक उपाय
- श्राद्ध और तर्पण: पितृ पक्ष में अपने पितरों की मृत्यु तिथि पर विधि-विधान से तर्पण और श्राद्ध अवश्य करें। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। हर अमावस्या पर भी पितरों के निमित्त तर्पण करना शुभ होता है।
- पीपल की पूजा: पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। हर अमावस्या या पितृ पक्ष में दोपहर के समय पीपल के पेड़ पर जल, दूध (काला तिल मिलाकर), अक्षत और फूल अर्पित करें। सात बार परिक्रमा करते हुए ह्ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
- दक्षिणा दिशा में दीपक: रोजाना शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में एक दीया (दीपक) जलाएं और पूर्वजों को प्रणाम करें।
- दान और भोजन: पितरों की तिथि पर ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं, तथा सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें। पितृ पक्ष में गाय, कौए और कुत्तों के लिए भोजन का अंश (रोटी या लड्डू) निकालें।
- मंत्र जाप: पितृ दोष से राहत पाने के लिए रोजाना गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
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