भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी
Govardhan Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: दीवाली के पांच दिवसीय त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण पर्व है गोवर्धन पूजा। यह पर्व दीपावली के अगले दिन, बलिप्रतिपदा के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की उस दिव्य लीला की स्मृति में मनाया जाता है जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाए जाने वाले इस पर्व पर श्रद्धालु गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग (छप्पन भोग) अर्पित किए जाते हैं और गोवर्धन पर्वत की पूजा विधि-विधान से की जाती है। हालांकि, पूजा समाप्त होने के बाद बहुत से लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अब इस गोबर का क्या किया जाए? क्या इसे फेंकना उचित है? आइए जानते हैं, इसके पीछे की धार्मिक मान्यताएं।
गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर, बुधवार को की जाएगी। इसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। देशभर में यह पर्व मनाया जाता है, लेकिन ब्रज क्षेत्र में इसका उत्सव सबसे अधिक भव्यता से होता है।
गोबर को कभी न फेंकें इधर-उधर
ज्योतिष शास्त्र में गोवर्धन पूजा में उपयोग किए गए गोबर का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। यह पवित्र तत्व माना जाता है, इसलिए पूजा के बाद इसे कूड़े या अपवित्र स्थान पर फेंकना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से धन और सुख-समृद्धि में कमी आ सकती है।
पूजा समाप्त होने के बाद गोवर्धन पर्वत को उसी स्थान पर पूरे दिन रहने दें। शाम के समय इसे सावधानी से एकत्र करें। फिर इसमें वे सफेद सींकें लगाएं जो करवा चौथ की पूजा में इस्तेमाल हुई थीं। इसके बाद उस गोबर के पर्वत के ऊपर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और इसे अपने आंगन में सुरक्षित स्थान पर रख दें। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
गोवर्धन पूजा के बाद गोबर से करें ये शुभ कार्य
- आंगन या छत की लिपाई करें: गोवर्धन पूजा के गोबर से आंगन या छत की लिपाई करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से माता लक्ष्मी का वास घर में बना रहता है और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
- उपले बनाएं: पूजा के बाद बचे हुए गोबर से कंडे (उपले) बनाए जा सकते हैं। इन्हें सर्दियों में खाना पकाने या धूप के रूप में जलाने से वातावरण शुद्ध होता है।
खेतों में खाद के रूप में उपयोग करें
- गोबर को खेतों में डालना शुभ और उपयोगी होता है। यह प्राकृतिक खाद मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ाती है और फसल की पैदावार में वृद्धि करती है।
- गोबर को सूखाकर या सीधे ही गमलों में खाद के रूप में डाल सकते हैं। इससे पौधे हरी-भरी और स्वस्थ रहते हैं। चाहें तो इसे स्थानीय गोशाला में दान भी किया जा सकता है, जो पुण्य का कार्य माना गया है।