Aarti Rules: जानें आरती करने के नियम, मिलेगा पूजा का पूरा फल

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Aarti Rules: जानें आरती करने के नियम, मिलेगा पूजा का पूरा फल
Aarti Rules: जानें आरती करने के नियम, मिलेगा पूजा का पूरा फल

आरती चरणों, नाभि और मुखमंडल से शुरू होकर पूरे शरीर पर सात बार जाती है घुमाई
Aarti Rules (आज समाज), नई दिल्ली: कोई भी पूजा आरती के बिना पूरी नहीं होती। आरती के बिना पूजा करने का फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए जब भी हम कोई धार्मिक अनुष्ठान कराते है तो अंत आरती करना आवश्यक है, लेकिन क्या आप जानते है कि आरती करने के भी शास्त्रों में कुछ नियम तय किए गए है।

अगर आरती करते समय हम इन नियमों का पालन नहीं करते तो हमारी पूरा निष्फल हो जाती है। इसलिए इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि आप आरती करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। ताकि पूजा का पूरा फल आपको मिल सके।

जहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना और आरती होती है, वहां सुख-शांति और समृद्धि का होता है वास 

धार्मिक मान्यता यह भी है कि जहां नियमित रूप से पूजा-अर्चना और आरती होती है, वहां सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। पूजा के अंत में आरती करना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती सदैव खड़े होकर और धातु की थाली में करनी चाहिए। आरती चरणों, नाभि और मुखमंडल से शुरू होकर पूरे शरीर पर सात बार घुमाई जाती है। कुल 14 बार घुमाना अनिवार्य है।

ऐसे करें आरती की शुरुआत

आरती हमेशा भगवान के चरणों से प्रारंभ करनी चाहिए। आरती की थाल को चरणों में चार बार घुमाना परमात्मा के चरणों में स्वयं को समर्पित करने का प्रतीक माना जाता है। आरती के दौरान थाल को दो बार भगवान की नाभि के पास घुमाना चाहिए। मान्यता है कि विष्णुजी की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ था। उसके बाद थाल को ऊपर उठाकर भगवान के मुखमंडल के सामने एक बार घुमाकर नमन करें।

इन बातों का भी रखें ध्यान

  • अंत में दीया पूरे शरीर पर सात बार घुमाएं।
  • कुल मिलाकर आरती चौदह बार घुमाने का विधान है, जो चौदह भुवनों तक भक्ति को पहुंचाने का मार्ग माना जाता है।
  • आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए और भगवान के सम्मान में थोड़ा झुकना चाहिए।
  • थाली तांबे, पीतल या चांदी की होनी चाहिए।
  • आरती की थाली में गंगाजल, कुमकुम, चावल, चंदन, अगरबत्ती, फूल और भगवान के प्रिय भोग अवश्य रखें।
  • दीपक को दक्षिणावर्त घुमाना और आरती के बीच में बोलना या चीखना नहीं।

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