CJI Surya Kant: देश के 53वें सीजेआई बनें हरियाणा के जस्टिस सूर्यकांत

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CJI Surya Kant: देश के 53वें सीजेआई बनें हरियाणा के जस्टिस सूर्यकांत
CJI Surya Kant: देश के 53वें सीजेआई बनें हरियाणा के जस्टिस सूर्यकांत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिलाई शपथ, शपथ लेने के बाद माता-पिता के पैर छुए, 14 महीने का होगा कार्यकाल
CJI Surya Kant, (आज समाज), नई दिल्ली/हिसार: जस्टिस सूर्यकांत देश में 53 वें मुख्य न्यायाधीश बन गए है। आज राष्ट्रपति भवन में हुए समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस सूर्यकांत को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा के हिसार के गांव पेटवाड़ के रहने वाले है। वह मुख्य न्यायाधीश के पद पर पहुंचने वाले हरियाणा से पहले व्यक्ति है। शपथ लेने के बाद सीजेआई सूर्यकांत ने राष्ट्रपति भवन में मौजूद पीएम मोदी समेत अन्य लोगों से मुलाकात की। वह पूर्व सीजेआई बीआर गवई से गले मिले।

माता-पिता के पैर छुए। इस समारोह में ब्राजील समेत सात देशों के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के जज भी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। गौरतलब है हक वर्तमान सीजेआई बीआर गवई का कार्यकाल रविवार 23 नवंबर को खत्म हो गया था। उनके बाद अब जस्टिस सूर्यकांत यह जिम्मेदारी संभालेंगे। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा।

अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल रहा मौजूद

रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार किसी सीजेआई के शपथ ग्रहण में इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय न्यायिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी रही। समारोह में भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका के मुख्य न्यायाधीश और उनके परिवार के सदस्य भी पहुंचे।

हिसार में ढोल की थाप पर नाचे वकील, हवन भी किया

सूर्यकांत का परिवार एक दिन पहले रविवार को दिल्ली रवाना हो गया था। उनके बड़े भाई डॉ. शिवकांत ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह में तीनों भाई, उनकी पत्नियां, बच्चे, बेटी-दामाद, बहन का परिवार, गांव के लोग, उनके पिता के मित्र शामिल हुए। भाई शिवकांत ने बताया कि तीनों भाई व पत्नियां व बच्चे राष्ट्रपति के साथ भोज में भी शामिल होंगे। हिसार में डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस सूर्यकांत के शपथ लेने से पहले हवन कराया। इसके बाद वकील ढोल की थाप पर जमकर नाचे।

जस्टिस सूर्यकांत ने हिसार से की थी करियर की शुरूआत

जस्टिस सूर्यकांत ने अपने करियर की शुरूआत वर्ष 1984-85 में हिसार जिला न्यायालय में ही वकील के रूप में की थी और लगभग 6 माह तक यहां प्रैक्टिस की थी। हिसार के वरिष्ठ वकील स्वर्गीय आत्माराम बंसल के यहां उन्होंने जूनियर के तौर पर काम किया था। हिसार बार के लिए अपने ही पूर्व सदस्य का देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचना अभूतपूर्व गौरव का विषय है।

सादा खाना पसंद

सूर्यकांत के बड़े भाई शिवकांत ने बताया कि सूर्यकांत सादा खाना पसंद करता है। घर में कुछ भी बना हो, वह खा लेता है। जज बनने के बाद घर पर आना हुआ। हालांकि, हम उसकी पसंद का ध्यान रखते हैं। उनको मिसी रोटी, बाजरे की रोटी, लहसुन की चटनी, लस्सी और मूंग की दाल पसंद है।

2 बेटियों के पिता है सूर्यकांत, पत्नी कॉलेज प्रिंसिपल के पद से हो चुकी रिटायर

बड़े भाई ने बताया कि जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत हैं और वह कॉलेज में प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं। वह इंग्लिश की प्रोफेसर रही हैं। वह प्रमोशन के बाद कॉलेज प्रिंसिपल रिटायर्ड हुईं। उनकी 2 बेटियां हैं। मुग्धा और कनुप्रिया। दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं।

जस्टिस सूर्यकांत द्वारा लिए गए बड़े फैसले

  • जस्टिस सूर्यकांत पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की फुल बेंच का हिस्सा थे जिसने 2017 में बलात्कार के मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को लेकर जेल में हुई हिंसा के बाद डेरा सच्चा सौदा को पूरी तरह से साफ करने का आदेश दिया था।
  • जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा थे जिसने कॉलोनियल एरा के राजद्रोह कानून को स्थगित रखा था। साथ ही निर्देश दिया था कि सरकार की समीक्षा तक इसके तहत कोई नई एफआईआर दर्ज न की जाए।
  • सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन समेत समस्त बार एसोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का निर्देश देने का श्रेय भी जस्टिस सूर्यकांत को दिया जाता है।
  • जस्टिस सूर्यकांत सात जजों की बेंच में शामिल थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के फैसले को खारिज कर दिया था। यूनिवर्सिटी के संस्थान के अल्पसंख्यक दर्जे पर पुनर्विचार का रास्ता खुल गया था।
  • वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली बेंच का हिस्सा थे, जिसने गैरकानूनी निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट का एक पैनल बनाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में खुली छूट नहीं मिल सकती।
  • जस्टिस सूर्यकांत के बड़े फैसलों में आर्टिकल 370 को निरस्त करने के 2023 के फैसले को बरकरार रखना भी शामिल है।

बिहार एसआईआर मामले की सुनवाई भी की

जस्टिस सूर्यकांत ने बिहार में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई भी की। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को रेखांकित करने वाले एक आदेश में जस्टिस सूर्यकांत ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर किए गए 65 लाख नामों की डीटेल सार्वजनिक की जाए।