Business News Update : भारत जल्द अमेरिका भेजेगा मछली की खेप

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Business News Update : भारत जल्द अमेरिका भेजेगा मछली की खेप
Business News Update : भारत जल्द अमेरिका भेजेगा मछली की खेप

40 हजार टन झींगा मछली की होगी सप्लाई, टैरिफ लागू होने के चलते रुक गई थी सप्लाई

Business News Update (आज समाज), बिजनेस डेस्क : अमेरिका द्वारा तीन अप्रैल को भारत के साथ व्यापार में नई टैरिफ नीति को लागू करने की घोषणा की गई थी। इसका भारतीय बाजार में बहुत ही प्रतिकूल असर पड़ा और बहुत सारे क्षेत्रों में व्यापार मंद पड़ गया लेकिन जैसे ही अमेरिका ने नई टैरिफ दरों को 90 दिन के लिए टाल दिया है तो भारत और अमेरिका व्यापार ने एक बार फिर से तेजी पड़क ली है। जिन क्षेत्रों में व्यापार ने तेजी पकड़ी है उनमें से एक है भारत द्वारा अमेरिका को मछली का निर्यात।

अमेरिका के फैसले से काफी राहत मिली : राघवन

जानकारों के अनुसार भारत के समुद्री खाद्य निर्यातक अमेरिका को 35,000-40,000 टन झींगा भेजने की तैयारी कर रहे हैं। उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 26 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क लगाने की योजना पर रोक लगाने और शुल्क को घटाकर 10 प्रतिशत करने के बाद आॅर्डर की संख्या स्थिर है।भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के महासचिव केएन राघवन ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा कि अब हमें काफी राहत मिली है, क्योंकि हम अब आयात शुल्क के मामले में अमेरिका के अन्य निर्यातकों के बराबरी पर पहुंच गए हैं। अब रोके गए शिपमेंट पर काम किया जाएगा।

दो हजार कंटेनर मछली निर्यात के लिए तैयार

राघवन ने कहा कि देरी से भेजे गए झींगा के लगभग 2,000 कंटेनरों को अब निर्यात के लिए तैयार किया जा रहा है। ट्रम्प ने 2 अप्रैल को उच्च टैरिफ की घोषणा करने के एक सप्ताह बाद ही 9 अप्रैल को टैरिफ को रोकने का निर्णय लिया था। अस्थायी राहत के तहत चीन को छोड़कर सभी देशों पर 10 प्रतिशत का व्यापक टैरिफ लागू रहेगा, क्योंकि चीन पर 145 प्रतिशत शुल्क लगता है।

फिलहाल झींगा निर्यात पर इतना टैरिफ लग रहा

वर्तमान में, अमेरिका को भारतीय झींगा निर्यात पर 17.7 प्रतिशत का प्रभावी सीमा शुल्क लगता है, जिसमें 5.7 प्रतिशत प्रतिकारी शुल्क और 1.8 प्रतिशत एंटी-डंपिंग शुल्क शामिल है। उद्योग सूत्रों ने बताया कि भारतीय निर्यातक आमतौर पर डिलीवरी शुल्क-भुगतान व्यवस्था के तहत टैरिफ लागत वहन करते हैं। जिसका अर्थ है कि पहले से अनुबंधित शिपमेंट को उच्च टैरिफ के कारण अतिरिक्त खर्चों का सामना करना पड़ता।

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