India-US Trade Deal : भारत अपने विकास की स्थिरता को लेकर समझौता नहीं करेगा : गोयल

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India-US Trade Deal : भारत अपने विकास की स्थिरता को लेकर समझौता नहीं करेगा : गोयल
India-US Trade Deal : भारत अपने विकास की स्थिरता को लेकर समझौता नहीं करेगा : गोयल

अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल से होने वाली व्यापार वार्ता से पहले पियूष गोयल ने स्पष्ट किया अपना रवैया

India-US Trade Deal  (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में आई रुकावट खत्म हो गई है। इस वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिकी दल भारत पहुंच चुका है और जल्द ही आगे की वार्ता शुरू होगी। हालांकि दोनों देशों के बीच यह वार्ता शुरू होने जा रही है लेकिन दोनों ही देशों के प्रतिनिधि इसको लेकर परस्पर विरोधी बयान जारी कर रहे हैं।

सोमवार को एक तरफ जहां अमेरिकी प्रतिनिधि ने भारत को हठधर्मिता छोड़ने की नसीहत दी तो वहीं केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी भारत का रवैया स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत की विकास यात्रा में स्थिरता ‘अनिवार्य’ है और इस बात पर जोर दिया कि गुणवत्ता, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मानकों में सामंजस्य स्थापित करना महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिरता से किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा। वे भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल आयोग (आईईसी) आम बैठक प्रदर्शनी के उद्घाटन को संबोधित कर रहे थे।

हमारा देश प्राकृति का सम्मान करने वाला

मंत्री ने कहा कि भारत विकास के आधार स्तंभ के रूप में स्थिरता पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहा है, क्योंकि प्रत्येक भारतीय स्वाभाविक रूप से प्रकृति का सम्मान करने में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने जलवायु लक्ष्यों के प्रति मजबूरी में नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार वैश्विक नागरिक के रूप में प्रतिबद्ध है। आर्थिक विकास में मानकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गोयल ने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले मानकों ने वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्थाओं को समृद्ध बनाने में मदद की है।

ये भारत के विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आईईसी बैठक जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच देशों को मानकों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए विचारों और तरीकों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान करते हैं। इससे खुले बाजारों का विस्तार होता है, मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है।

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