100 gigawatts of nuclear capacity by 2047 : 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करेगा भारत : कार्तिकेय शर्मा

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India will achieve its target of 100 gigawatts of nuclear capacity by 2047 Kartikeya Sharma
सांसद कार्तिकेय शर्मा ।
  • सांसद कार्तिकेय शर्मा ने SHANTI विधेयक को परमाणु पुनर्जागरण और ऊर्जा संप्रभुता की आधारशिला बताया

New Delhi News(आज समाज नेटवर्क) चंडीगढ़/ दिल्ली | राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के दौरान राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा ने SHANTI विधेयक, 2025 (सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) के पक्ष में एक सशक्त और सुव्यवस्थित पक्ष रखा। उन्होंने इसे भारत की ऊर्जा यात्रा में एक निर्णायक क्षण बताते हुए कहा कि यह विधेयक लंबे समय से चली आ रही हिचकिचाहट से आगे बढ़कर ठोस क्रियान्वयन की दिशा में देश का स्पष्ट कदम है।

बहस के दौरान कार्तिकेय शर्मा ने भारत की ऊर्जा संरचना में मौजूद एक गंभीर असंतुलन की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, लेकिन देश के कुल ऊर्जा मिश्रण में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी मात्र 1.7 प्रतिशत है। यह स्थिति फ्रांस, अमेरिका और चीन जैसे देशों से बिल्कुल विपरीत है, जहां परमाणु ऊर्जा औद्योगिक विकास और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता की रीढ़ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अंतर वैज्ञानिक या तकनीकी अक्षमता के कारण नहीं, बल्कि नीतिगत जड़ता, निर्णयों में देरी और दशकों तक टाले गए सुधारों का परिणाम है।

भारत की परमाणु क्षमता को बढ़ाने के लिए यह विधेयक जरूरी : शर्मा

ऐतिहासिक संदर्भ में बात रखते हुए कार्तिकेय शर्मा ने डॉ. होमी भाभा के तीन-स्तरीय परमाणु दृष्टिकोण का उल्लेख किया, जो थोरियम आधारित और दीर्घकालिक ऊर्जा आत्मनिर्भरता पर आधारित था। उन्होंने कहा कि दृष्टि तो दूरदर्शी और सुदृढ़ थी, लेकिन इसके क्रियान्वयन में लंबे समय तक अत्यधिक केंद्रीकरण हावी रहा। महत्वपूर्ण परियोजनाओं में बार-बार देरी हुई, समय-सीमाएं खिंचती चली गईं और भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप परमाणु क्षमता का विस्तार नहीं हो सका।

इसी संरचनात्मक ठहराव को दूर करने के लिए SHANTI विधेयक लाया गया है। अपने वक्तव्य में कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि यह विधेयक अत्यधिक केंद्रीकरण को समाप्त करता है और परमाणु क्षेत्र को नियंत्रित निजी भागीदारी के लिए खोलता है, जबकि सुरक्षा, नियमन और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राज्य का नियंत्रण पूरी तरह बना रहता है। इसका उद्देश्य परमाणु परियोजनाओं में पूंजी, जवाबदेही और पूर्वानुमेयता लाना है, बिना संप्रभु नियंत्रण से समझौता किए।

बहस के दौरान उठाए गए विषय पूर्व में शून्यकाल के दौरान संसद में किए गए हस्तक्षेपों के अनुरूप भी हैं, जहां अन्य रणनीतिक क्षेत्रों की तरह परमाणु क्षेत्र में भी संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया गया था। SHANTI विधेयक अब उस सुधारोन्मुख दृष्टिकोण को विधायी स्वरूप प्रदान करता है।

स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स भारत की भावी ऊर्जा संरचना का एक महत्वपूर्ण स्तंभ

अपने संबोधन में कार्तिकेय शर्मा ने रणनीतिक यथार्थवाद पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु क्षमता का राष्ट्रीय लक्ष्य ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ विकास और आर्थिक मजबूती के लिए अनिवार्य है। लेकिन लगभग ₹20 लाख करोड़ के अनुमानित निवेश की आवश्यकता को केवल सार्वजनिक वित्त पोषण के माध्यम से पूरा करना संभव नहीं है। यह विधेयक इस वास्तविकता को स्वीकार करता है और निजी पूंजी को राष्ट्रीय ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति में सहभागी बनाता है।

भविष्य की ओर देखते हुए कार्तिकेय शर्मा ने स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) को भारत की भावी ऊर्जा संरचना का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि SMRs डेटा सेंटर्स, स्मार्ट सिटीज़ और औद्योगिक क्षेत्रों को स्थिर और समर्पित बिजली प्रदान कर सकते हैं, जिससे वे डिजिटल इंडिया की हरित बैटरी के रूप में कार्य करेंगे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि वैश्विक स्तर पर SMRs को पोर्टेबल तैनाती के लिए भी विकसित किया गया है, जिनमें फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म और समुद्री आधारित प्रणालियाँ शामिल हैं, जहां 50 से 100 मेगावॉट की इकाइयाँ उन क्षेत्रों में लगाई जा सकती हैं, जहां पारंपरिक बिजली उत्पादन संभव नहीं है। इससे दूरदराज़, औद्योगिक और रणनीतिक क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुलती हैं।

परमाणु ऊर्जा पर चर्चा तथ्यों आधारित होनी चाहिए

सुरक्षा के मुद्दे पर कार्तिकेय शर्मा ने भय-आधारित विमर्श से सावधान रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा पर चर्चा आशंका नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि विधेयक का क्लॉज 17, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) के वैधानिक अधिकारों को और सशक्त करता है तथा सार्वजनिक और निजी, दोनों प्रकार के रिएक्टरों पर निरंतर निगरानी सुनिश्चित करता है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि जब सुधार विज्ञान, नियमन और जिम्मेदारी पर आधारित हों, तो “डर के आगे जीत है”।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में बात रखते हुए कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि भारत के पास सदैव परमाणु दृष्टि रही है—महर्षि कणाद के परमाणु सिद्धांत से लेकर डॉ. होमी भाभा के रोडमैप तक। कमी केवल ऐसी शासन व्यवस्था की थी, जो समयबद्ध और अनुशासित क्रियान्वयन सुनिश्चित कर सके। उन्होंने कहा कि यह ढांचा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में आकार ले रहा है, जिसने सुधार, प्रणाली निर्माण और दीर्घकालिक राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी है।

अपने संबोधन के अंत में कार्तिकेय शर्मा ने कहा कि भारत अब देरी और संदेह के दौर से आगे निकल चुका है। SHANTI विधेयक के साथ अब महत्वाकांक्षा और कार्रवाई एक-दूसरे के साथ खड़ी हैं। यही है विकसित भारत को ऊर्जा प्रदान करने का मार्ग।