India-Canada Trade Deal : भारत और कनाडा 2030 तक दोगुना करेंगे आपसी व्यापार

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India-Canada Trade Deal : भारत और कनाडा 2030 तक दोगुना करेंगे आपसी व्यापार
India-Canada Trade Deal : भारत और कनाडा 2030 तक दोगुना करेंगे आपसी व्यापार

दो साल से रुकी व्यापार वार्ता जल्द होगी शुरू, जल्द पूरी होगी ट्रेड डील

India-Canada Trade Deal (आज समाज), बिजनेस डेस्क : भारत और कनाडा आपसी व्यापार को बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। दोनों देश जल्द ही दो साल से रुकी व्यापार वार्ता को दोबारा शुरू करेंगे और जल्द ही इसे पूरा करेंगे। दरअसल दक्षिण अफ्रीका में जी20 समिट के दौरान भारत और कनाडा पीएम के बीच हुई मुलाकात के बाद ऐसी सहमति बनी। इसके बाद भारत सरकार ने कहा कि कनाडा और भारत एक नई ट्रेड डील के लिए रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं।

दो साल पहले एक डिप्लोमैटिक विवाद के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत रुक गई थी। भारत के प्रधानमंत्री आॅफिस की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के नेता एक बड़े लक्ष्य वाले कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हुए, जिसका मकसद 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को दोगुना करके $50 बिलियन (करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये) करना है।

दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने की मुख्य वजह

भारत और कनाडा के बीच आपसी व्यापार बढ़ाने की मुख्य वजह अमेरिकी टैरिफ है। पिछले कुछ माह से अमेरिका ने भारत और कनाडा दोनों ही देशों पर उच्च टैरिफ लगाया है। अमेरिका विशेषकर कनाडा पर दबाव बनाने की राजनीति कर रहा है। जिसके चलते कनाडा अमेरिका के अतिरिक्त अन्य बड़े बाजारों की तलाश कर रहा है जिसके चलते वह भारत के साथ आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए उत्सुक है। वहीं भारत भी अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से राहत पाने के लिए विश्व के अन्य बाजारों की तलाश में है।

वार्ता को लेकर कनाडा पीएम का यह बयान आया

कनाडाई पीएम कार्नी ने पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैं आज जी20 समिट में मिले, और एक ट्रेड डील के लिए बातचीत शुरू की, जिससे हमारा ट्रेड दोगुना से भी ज्यादा होकर 70 बिलियन कनाडाई डॉलर से ज्यादा हो सकता है। उन्होंने लिखा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है, और इसका मतलब है कि कनाडाई वर्कर्स और बिजनेस के लिए बड़े नए मौके। आगे कहा गया कि दोनों पक्षों ने अपने लंबे समय से चले आ रहे सिविल न्यूक्लियर सहयोग को फिर से मजबूत किया और लंबे समय के यूरेनियम सप्लाई अरेंजमेंट के जरिए सहयोग बढ़ाने पर चल रही बातचीत पर ध्यान दिया।