Chhath Puja: नहीं जा सकते हैं छठ घाट, तो घर पर कैसे करें पूजा

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Chhath Puja: नहीं जा सकते हैं छठ घाट, तो घर पर कैसे करें पूजा
Chhath Puja: नहीं जा सकते हैं छठ घाट, तो घर पर कैसे करें पूजा

श्रद्धा और पवित्रता के साथ घर पर की गई छठ पूजा भी होती है फलदायी
Chhath Puja, (आज समाज), नई दिल्ली: आज से छठ पूजा के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। यह महापर्व 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ पूर्ण होगा। यह चार दिवसीय व्रत बेहद कठिन और पवित्रता से भरा होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा पवित्र नदियों के तट पर की जाती है, लेकिन कई बार व्रती के लिए यह कर पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में, आप पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ अपने घर पर ही छठ पूजा कर सकते हैं। हालांकि घर पर पूजा करने के लिए कुछ विशेष नियम और विधि का पालन करना होता है, तो आइए उनके बारे में जानते हैं।

छठ पूजा कैलेंडर

  • 25 अक्तूबर 2025, शनिवार- नहाय-खाय
  • 26 अक्तूबर 2025, रविवार- खरना
  • 27 अक्तूबर 2025, सोमवार- संध्या अर्घ्य
  • 28 अक्तूबर 2025, मंगलवार- उषा अर्घ्य

सूर्यास्त और सूर्योदय समय

  • 27 अक्टूबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 40 मिनट पर होगा।
  • 28 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर होगा।

घर पर छठ पूजा करने के नियम और विधि

  • घर की छत, आंगन या बालकनी में एक साफ-सुथरा स्थान चुनें।
  • ईंटों या मिट्टी का उपयोग करके एक छोटा गोल या चौकोर घेरा (जल कुंड) बनाएं।
  • आप बड़े टब या प्लास्टिक के कंटेनर का भी उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वह पूरी तरह से साफ और नया होना चाहिए।
  • इस कुंड में इतना जल भरें कि अर्घ्य देते समय व्रती कमर तक के पानी का अनुभव कर सकें  कुंड में थोड़ा गंगाजल जरूर मिलाएं।
  • पूरे घर में लहसुन और प्याज सहित किसी भी तामसिक वस्तु का प्रयोग न करें।
  • छठ का प्रसाद (ठेकुआ, चावल के लड्डू, आदि) पूर्ण पवित्रता का ध्यान रखकर ही बनाएं।
  • व्रती के लिए इस दौरान पलंग पर सोना वर्जित माना गया है। उन्हें जमीन पर चटाई बिछाकर सोना होता है।
  • व्रती को चारों दिन बिना सिले हुए नए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • संध्या (डूबते सूर्य) और उषा (उगते सूर्य) अर्घ्य को घर पर इसी कुंड में दें।
  • बांस के सूप या पीतल की टोकरी में सभी मौसमी फल, गन्ना, ठेकुआ और अन्य पकवानों को रखें।
  • तांबे के लोटे में दूध और जल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • व्रती कुंड में खड़े होकर सूर्य की ओर मुख करके अर्घ्य दें।
  • इस दौरान सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करें।
  • अंत में पूजा में हुई सभी गलती के लिए माफी मांगे।