
अमेरिका का दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप पहली बार आए अमेरिका
Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान में विश्व के सभी प्रमुख देशों के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है लगातार बदलते वैश्विक व्यापारिक परिवेश। अमेरिका के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसी नीति अपनाई की विश्व में व्यापार युद्ध शुरू होने के आसार बन गए।
अमेरिका की इस नीति का एशिया पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ा व जनसंख्या के हिसाब से विश्व के दो सबसे बड़े देशों चीन और भारत के साथ अमेरिका के व्यापारिक मतभेद खुलकर सामने आए और अमेरिका ने इन दोनों पर भारी टैरिफ लगा दिए। भारत पर जहां अमेरिका ने अगस्त में 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया वहीं चीन पर एक नवंबर से 155 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा डोनाल्ड ट्रंप कर चुके हैं।
वर्तमान दौरे में ट्रंप इन देशों की करेंगे यात्रा
इस यात्रा में डोनाल्ड ट्रंप मलयेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया जाएंगे। यह जनवरी में पद संभालने के बाद उनकी पहली एशिया यात्रा है और अब तक की सबसे लंबी विदेश यात्रा है। उनकी यात्रा का सबसे अहम पड़ाव महीने के अंत में होगा, जिसमें वह दक्षिण कोरिया में होने वाले एपेक सम्मेलन में चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं। इस बैठक में व्यापार और ताइवान मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद है। ट्रंप का यह दौरा चीन के साथ तनाव कम करने, दक्षिण कोरिया की व्यापारिक चिंताओं पर चर्चा करने और दक्षिण-पूर्व एशिया में शांति स्थापित करने की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है।
क्या चीन के राष्ट्रपति से मिलेंगे ट्रंप
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट के मुताबिक, ट्रंप गुरुवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। हालांकि दोनों नेताओं की बातचीत किन मुद्दों पर होगी, इसे लेकर अभी अटकलें लगाई जा रही हैं। एपेक शिखर सम्मेलन में यह बैठक सबसे चचार्ओं में से बनी रह सकती है। दोनों देशों के नेताओं के बीच वार्ता से उम्मीद है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव को कम किया जा सकेगा, जो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है।
ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिया था कि वह चीन से आने वाले निर्यात पर लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) को घटाने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन इसके बदले में उन्होंने बीजिंग से कुछ रियायतों की मांग की है। इनमें अमेरिकी सोयाबीन की खरीद दोबारा शुरू करना और फेंटानिल ड्रग बनाने में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक पदार्थों की आपूर्ति पर रोक लगाना शामिल है।

