हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के मामले नॉर्थ इंडिया में सबसे कम: पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल

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Haryana has lowest incidence of crop residue burning in North India: Former Justice Pritam Pal

इशिका ठाकुर, करनाल:

हरियाणा एनजीटी मॉनेटरी कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल, उन्होंने कहा कि हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के मामले नॉर्थ इंडिया में सबसे कम मामले सामने आए हैं।

देश के सभी राज्यों के मुकाबले सबसे पहले हरियाणा राज्य द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन की योजना एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की गई। हरियाणा एनजीटी मॉनेटरी कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल करनाल पहुंचे। उन्होंने करनाल जिला सचिवालय के सभागार में करनाल, पानीपत तथा कैथल के पर्यावरण से संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस बैठक में विभिन्न प्रकार के अवशेष प्रबंधन तथा निस्तारण को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ चर्चा की।

एनजीटी द्वारा पर्यावरण पर विशेष रुप से काम किया

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी द्वारा पर्यावरण सुरक्षा को लेकर पर्यावरण पर विशेष रुप से काम किया जा रहा है।
एनजीटी द्वारा देश के सभी राज्य को अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर योजना तैयार करने के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे इसमें विशेष तौर पर देश के सभी राज्यों में से सबसे पहले हरियाणा राज्य द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन की योजना एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की गई तथा हरियाणा राज्य इसको लेकर सबसे पहले नंबर पर रहा।

अपशिष्ट प्रबंधन में 11 अपशिष्ट शामिल किए गए हैं इनमें विशेष रूप से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा अपशिष्ट को अलग अलग करना, स्वीपिंग तथा मैनुअल स्वपिंग, अपशिष्ट संग्रह आदि शामिल किए गए हैं तथा इन सभी अपशिष्ट प्रबंधन पर लगातार योजनाबद्ध तरीके से कार्यप्रणाली निश्चित की जाए इसको लेकर अलग-अलग समय में एनजीटी द्वारा दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

इस समीक्षा बैठक में पर्यावरण से संबंधित सभी अधिकारियों ने पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल के समक्ष अपनी योजना तथा पर्यावरण सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी साझा की गई।

31 दिसंबर 2022 तक समय सीमा निर्धारित

समीक्षा बैठक के उपरांत पत्रकारों से बात करते हुए हरियाणा एनजीटी मॉनिटरिंग कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस प्रीतम पाल ने कहा कि एनजीटी द्वारा 11 प्रकार के अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट ली गई है तथा इस पर समीक्षा करते हुए बकाया कार्य पूरा करवाने के लिए 31 दिसंबर 2022 तक समय सीमा निर्धारित की गई है और उन्हें उम्मीद है कि इस समय अवधि में सभी कार्य पूरे हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हरियाणा में फसल अवशेष जलाने के मामले नॉर्थ इंडिया में सबसे कम मामले सामने आए हैं और आने वाले समय में एक भी मामला फसल अवशेष जलाने प्रदेश में नहीं होगा। उन्होंने सभी व्यक्ति विशेष और खासकर किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के लिए अपील की।

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