Indian Cropping Pattern: भारत में इथेनॉल ने बदला क्रॉपिंग पैटर्न, मक्का और गन्ना बढ़े, सोयाबीन की खेती घटी

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Indian Cropping Pattern: भारत में इथेनॉल ने बदला क्रॉपिंग पैटर्न, मक्का और गन्ना बढ़े, सोयाबीन की खेती घटी
Indian Cropping Pattern: भारत में इथेनॉल ने बदला क्रॉपिंग पैटर्न, मक्का और गन्ना बढ़े, सोयाबीन की खेती घटी

6 लाख हेक्टेयर की दर्ज की गई गिरावट, बढ़ रहा इथेनॉल का उत्पादन
Indian Cropping Pattern, (आज समाज), नई दिल्ली: भारत के खेतों में एक शांत लेकिन गहरी फसली क्रांति चल रही है। इथेनॉल आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते झुकाव ने मक्का और गन्ना जैसी फसलों को बढ़ावा दिया है, जबकि सोयाबीन जैसी प्रमुख तिलहन फसलें धीरे-धीरे पीछे छूट रही हैं। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दिखाते हैं।

मक्का-गन्ना की छलांग

कृषि मंत्रालय की 19 सितंबर 2025 की साप्ताहिक फसल प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, गन्ने की खेती 2024 की तुलना में 1.85 लाख हेक्टेयर बढ़कर 59.07 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है। पिछले साल यह 57.22 लाख हेक्टेयर थी। 1.85 लाख हेक्टेयर या 3.2 परसेंट की वृद्धि भले ही बड़ी न हो, लेकिन फसल पैटर्न की ओर बड़ा इशारा जरूर है। वह भी इस लिहाज से कि गन्ने की खेती के लिए पानी की बहुत जरूरत होती है जबकि पानी बचाने पर अभी पूरा फोकस है।

मक्का ने और तेज छलांग लगाई

लगभग 10.6 लाख हेक्टेयर की वृद्धि के साथ यह अब 95 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया जा रहा है। यह पिछले पांच सालों के औसत से 11% अधिक है।
यह कोई तात्कालिक बदलाव नहीं है, बल्कि सरकार की दीर्घकालिक इथेनॉल योजना से जुड़ा है, जो मक्का और सरप्लस चावल को डिस्टिलरी उपयोग के लिए अनुमति देता है।

सोयाबीन की गिरावट चिंता का विषय

वहीं दूसरी ओर, भारत की खाद्य तेल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सोयाबीन की खेती लगातार घट रही है। सितंबर के मध्य तक, सोयाबीन की बुवाई 2024 के 126.3 लाख हेक्टेयर से घटकर 120.4 लाख हेक्टेयर रह गई है। यानी करीब 6 लाख हेक्टेयर की गिरावट, जो स्पष्ट संकेत है कि मक्का अब पारंपरिक सोयाबीन क्षेत्रों में सेंध लगा रहा है। यह गिरावट उस समय हो रही है जब भारत अपनी जरूरत का 50% से अधिक खाद्य तेल आयात करता है, जो रणनीतिक रूप से चिंताजनक है।

किसान क्यों बदल रहे हैं फसलें

इथेनॉल बाजार अब व्यवहारिक और लाभदायक है। तेल कंपनियां 19.8% तक एथनॉल पेट्रोल में मिला रही हैं। अगस्त 2025 का आंकड़ा यही बताता है। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के अनुसार, मक्का अब इथेनॉल का सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है। गन्ना पहले से मिलों के जरिए सुनिश्चित खरीद का लाभ लेता था, अब उसमें इथेनॉल की मांग भी जुड़ गई है। वहीं, सोयाबीन को कीमतों में उतार-चढ़ाव और खरीद तंत्र की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

इस बदलाव की कीमत क्या है

गन्ना और मक्का की खेती में वृद्धि पर्यावरण और संसाधनों पर दबाव डाल रही है: नीति आयोग की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, 1 किलो चीनी बनाने में 1500-2000 लीटर पानी लगता है। यह जल संकट को और गहरा करता है। फसल विविधता घट रही है, जिससे पारंपरिक खाद्य सुरक्षा पर संकट मंडरा सकता है।।