गगन बावा, गुरदासपुर:
अब शवों का दाह संस्कार आधी लकड़ी में हो जाया करेगा। इससे जहां पेड़ों की कटाई में कमी आएगी, वहीं धुआं भी नहीं निकलेगा, जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा। मशीन का निर्माण चीमा ब्वायलर्स, मोहाली की तरफ से किया गया है। कंपनी के चेयरमैन एसएस चीमा और प्रोजेक्ट इंचार्ज सुचिता ने बताया कि मशीन से होने वाले संस्कार में दो क्विंटल के करीब लकड़ी लगती है, जबकि आम तौर पर पांच क्विंटल लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस मशीन में संस्कार की पूरी प्रक्रिया अढ़ाई घंटे में खत्म हो जाती है। मृतक के फूल उपरी स्तह पर रह जाते हैं, जबकि राख निचली स्तह पर एकत्र हो जाती है। इसमें हिंदू-सिख रीति-रिवाजों के साथ संस्कार आसानी के साथ किया जा सकता है और कोई धुआं भी पैदा नहीं होता है। मशीन को एनवायरमेंट प्रोटेक्शन सोसायटी ने बटाला रोड स्थित श्मशानघाट में इंस्टॉल कराया गया है।
पेड़ों के बचाव का प्रयास :
सोसायटी के प्रधान प्रेम खोसला ने बताया कि पर्यावरण सुधार के लिए पेड़ों का बचाव किया जाना आवश्यक है। मशीन की सहायता से संस्कार के दौरान कम से कम एक पेड़ बचाया जा सकता है। सोसायटी की ओर से श्मशानघाट की सेवा संभाल करने वाली मानव कर्म मिशन के प्रधान सुभाष भंडारी को मशीन सौंप दी गई है। खोसला ने आगे बताया कि जनचेतना के लिए शहर की कई संस्थाओं के प्रतिनिधि इस मौके पर मौजूद रहे।
डीसी के साथ करेंगे चचा :
जिला रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि वह इस मशीन की चर्चा डीसी के साथ करेंगे। रेडक्रॉस भी ऐसी मशीनें लगवाने का प्रयास करेगी। इस मौके पर राजन कुमार, जुगल किशोर, संदीप अबरोल, पवन शर्मा, मुकेश शर्मा, राजकुमार राजू, अनिल कुमार, पुरषोत्तम शर्मा, अशोक पुरी, रमेश शर्मा, बीबी गुप्ता, बलविंदर कुमार, सुनील सोनू, अश्विनी चतरथ, अश्विनी गुप्ता, पवन राय, अशोक शर्मा आदि मौजूद थे।
1990 से पर्यावरण बचाने में जुटी सोसायटी :
मानव जीवन प्रकृति पर आश्रित है। प्रकृति एक विराट शरीर की तरह है। जीव-जन्तु, वृक्ष-वनस्पति, नदी-पहाड़ आदि इसके अंग हैं। जिस तरह मानव शरीर के किसी एक अंग में खराबी आ जाने से पूरे शरीर के कार्य में बाधा पड़ती है, उसी प्रकार प्रकृति से छेड़छाड़ करने पर प्रकृति की व्यवस्था भी गड़बड़ा जाती है। प्रकृति के साथ दुश्मन की तरह नहीं, दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। प्रकृति को बचाने का मिशन लेकर चल रही है एन्वारमेंट प्रोटेक्शन सोसायटी। सोसायटी का गठन 1990 में फ्रीडम फाइटर शिव कुमार शारदा ने किया था। तभी से लगातार सोसायटी के सदस्य पर्यावरण बचाव को लेकर काम कर रहे हैं।
से नो टू प्लास्टिक अभियान चलाया :
सोसायटी की ओर से प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने के उद्देश्य से से नो टू प्लास्टिक अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत लोगों को प्लास्टिक का प्रयोग न करने के लिए समझाया जाता है। यही नहीं स्कूल, कॉलेजों में सेमिनार लगाकर बच्चों को भी इस बारे में समझाया जाता है। इसके अलावा पानी बचाने के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। स्कूल-कॉलेज के बच्चों को प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग न करने के लिए प्रेरित करने को जूट बैग्स भी बांटे जाते हैं।
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