Encounter in Chattisgarh : छत्तीसगढ़ में हुई मुठभेड़, 10 के करीबन नक्सली ढेर, मोस्ट वांटेड बाल कृष्ण भी शामिल

0
79
Encounter took place in Chhattisgarh, around 10 Naxalites killed, most wanted Bal Krishna also included

Encounter in Chattisgarh(आज समाज नेटवर्क): अबूझमाड़ के जंगल में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) जवानों से डरकर भाग रहे माओवादियों के छोड़े गए एक डेरे में माओवादी प्रमुख बसव राजू के बिस्तर और कुर्सी को देखकर उसकी उपस्थिति का पक्का सुराग डीआरजी जवानों को मिला।

बसव राजू के साथ काम कर चुके आत्मसमर्पित डीरआरजी जवानों ने इसकी पुष्टि की। माओवादी डीआरजी से इतना डरे हुए थे कि शीर्ष माओवादी का भी सामान छोड़कर जंगल में बचने के लिए भागते फिर रहे थे। बस्तर आइजीपी सुंदरराज पी. ने मंगलवार को इस सफल अभियान के बारे में बताते हुए यह जानकारी दी।

माओवादी भागते रहे और डीआरजी करती रही पीछा

बस्तर आइजीपी ने बताया कि बसव राजू की उपस्थिति की पुष्टि के बाद अगले तीन दिन तक माओवादी और डीआरजी जवानों के बीच लुका-छिपी का खेल चलता रहा। माओवादी भागते रहे और डीआरजी उनका पीछा करती रही।

21 मई की सुबह माओवादियों की ओर से पहली गोली चली, जिसमें एक डीआरजी सहयोगी मारा गया। इसके बाद लगभग 60 घंटे तक चली मुठभेड़ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) प्रमुख बसव राजू, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य (डीकेएसजेडसी) व सुरक्षा टीम प्रभारी नागेश्वर राव उर्फ मधु समेत 28 माओवादियों को मार गिराया, जिनमें 27 के के शव बरामद किए गए। माओवादी संगठन की ओर से एक अन्य माओवादी नीलेश का शव अपने साथ ले जाने की बात पत्र जारी कर कही है।

माओवादी का कहना है पुलिस को थी जानकारी, छह माह में छेड़े तीन अभियान

माओवादी संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प की ओर से जारी पत्र में माओवादियों ने स्वीकारा है कि पुलिस को बसव राजू के बारे में माड़ क्षेत्र में पिछले छह माह में आत्समर्पण करने वाले माओवादियों से खुफिया जानकारी मिल चुकी थी। इसके बाद से जनवरी और मार्च माह में दो बड़े अभियान माड़ क्षेत्र में पुलिस की ओर से छेड़ा गया पर तब बसव राजू बचने में सफल रहा।

पत्र में माओवादियों ने कहा है कि डीआरजी के अभियान से एक दिन पहले माओवादी डेरे से भागे पति-पत्नी ने पुलिस तक सूचना पहुंचाई थी। इसके अगले ही दिन 17 मई को नारायणपुर और कोंडागाव से डीआरजी ने अभियान शुरु हुआ। 18 मई को दंतेवाड़ा, बीजापुर के डीआरजी, बस्तर फाइटर्स के जवानों ने भी घेराबंदी शुरु की। 19 मई की सुबह वे माओवादी डेरे के पास पहुंच गये थे।

इसके बाद डेरा छोड़कर भाग रहे माओवादियों की टीम के साथ सुबह दस बजे पहली मुठभेड़ हुई। दिन भर पांच बार मुठभेड़ हुई, पर कोई नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद डीआरजी के घेराव क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए 20 मई काे दिन भर प्रयास किए, पर सफलता नहीं मिल सकी। लगभग 60 घंटे तक चली मुठभेड़ के बाद 21 मई की सुबह आमने-सामने की भिडंत हुई, जिसमें सात माओवादी भागने में सफल रहे।

 यह भी पढ़े:- Murder Case: पूर्व बसपा विधायक छोटे सिंह चौहान को आजीवन कारावास