Editorial Aaj Samaaj: संसद रत्न बनने के लिए सदन में करनी पड़ती है समोसे की बात

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Editorial Aaj Samaaj: संसद रत्न बनने के लिए सदन में करनी पड़ती है समोसे की बात

Editorial Aaj Samaaj | राजीव रंजन तिवारी | लोकसभा में समोसे की चर्चा कर अभिनेता से नेता बने गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने उस दौर की याद दिला दी, जब लोग यूं ही गुनगुनाते रहते थे…’जब तक रहेगा समोसा में आलू, तब तक रहेगा भारत में लालू।’ तब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद की लोकप्रियता चरम पर थी। शायद इसीलिए इस तरह के गाने बजते रहते थे। अब उसी समोसे की बात पर भाजपा सांसद रवि किशन चर्चा में हैं। कुछ लोग तो चुटकी लेने के लिए यहां तक कह रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर भारतीय संसद का रत्न बनने के लिए समोसे की बात भी करनी पड़ती है।

राजीव रंजन तिवारी, सम्पादक, आज समाज।

भाजपा सांसद और अभिनेता रवि किशन ने बीते दिनों लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में सरकार से यह गुजारिश की कि ढाबों से लेकर फाइव स्टार होटल्स तक में परोसी जाने वाले खाने-पीने की चीजों की कीमतों और मात्रा को कंट्रोल करने के लिए नियम बनाए जाएं। गोरखपुर के सांसद रवि किशन ने कहा कि मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा है कि हमें कहीं एक ही रेट पर कहीं छोटी प्लेट में समोसा मिलता है और कहीं बड़ी प्लेट में मिलता है। करोड़ों कस्टमर्स वाला इतना बड़ा बाजार बिना किसी नियम-कानून के चल रहा है।

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान गोरखपुर से भाजपा सांसद ने कहा कि हर जगह खाद्य पदार्थों की कीमतें, गुणवत्ता और मात्रा अलग-अलग हैं। यह ठीक नहीं। एकरूपता जरूरी है। देश भर में खाद्य पदार्थों की कीमतों और मात्रा में एकरूपता के अभाव की ओर इशारा करते हुए रवि किशन ने कहा कि दाल तड़का कुछ दुकानों पर 100 रुपए, कुछ पर 120 रुपए और कुछ होटलों में 1,000 रुपए में मिलती है। समोसे की बात पर देश में तरह-तरह की चचार्एं चलने लगी हैं। कुछ लोग रवि किशन को ट्रोल भी कर रहे हैं, जो ठीक नहीं है।

खैर, लोकसभा में अभिनेता और गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन का समोसे पर सवाल सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इसे लेकर लोग भांति-भांति के कमेंट कर रहे हैं। रवि किशन द्वारा समोसे पर पूछ गए सवाल ने लोगों को चौंका दिया है। वैसे हर किसी को पता है कि रवि किशन अभिनेता से नेता बने हैं। अभिनय का काम उनका अब भी जारी है। लाइम लाइट में कैसे रहना है, इसकी जानकारी रवि किशन को अच्छी तरह से है। वे अक्सर इस तरह की बातें करके चर्चा में बने रहते हैं।

इसलिए यह माना जा रहा है कि समोसे की बात अनायास ही नहीं हो गई। इसके लिए पूरी रणनीति के तहत काम किया गया होगा। फिर तय हुआ होगा कि समोसे की समस्या की बात को सदन में उठाई जाए। परिणाम सामने है। जनता ने इस मुद्दे को लपका और चर्चा आरंभ हो गई। लोग मजे लेकर समोसे की चर्चा में जुटे हुए हैं। हालांकि कहने में बात बहुत हल्की है, लेकिन मुद्दा गंभीर है। इसे सांसद रवि किशन ने टच कर दिया है। भाजपा सांसद ने लोकसभा में समोसे के साइज और रेट पर सवाल किया।

रवि किशन ने बात भले छोटी कही हो, लेकिन मुद्दा बहुत बड़ा है। सच में समोसा खरीदने वाले को उसके साइज का अंदाजा होने पर झटका लगता है। खैर, रवि किशन की मांग के बाद कथित विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भाजपा सांसद का मजाक उड़ाते हुए पूछा कि क्या वह प्रधानमंत्री मोदी के मित्र गौतम अडानी द्वारा संचालित एयरपोर्ट्स पर महंगे समोसे के दामों पर कंट्रोल करने के लिए भी आवाज उठा सकते हैं। सुरेंद्र राजपूत की बात को कांग्रेस के अन्य नेता भी धार दे रहे हैं।

वहीं भाजपा सांसद रवि किशन का बचाव करने के लिए उनके समर्थक भी मैदान में आ गए हैं। बिहार भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस को सदन की कार्यवाही में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए जनहित के हर मुद्दे का कांग्रेस द्वारा मजाक उड़ाया जाता है। वहीं सांसद रवि किशन के निजी सहायक दिनेश चंद्र पांडेय उर्फ गुड्डू बाबू का कहना है कि कांग्रेस का एकमात्र काम शोर मचाना और सदन की कार्यवाही में बाधा डालना है। जिन लोगों ने इस तरह के व्यवहार को अपनी आदत बना लिया है, वे स्वाभाविक रूप से तब हैरान होते हैं जब वास्तविक जनहित के मुद्दे उठाए जाते हैं।

गोरखपुर महानगर भाजयुमो के अध्यक्ष सत्यार्थ मिश्रा उर्फ शुभम ने सवाल किया कि क्या समोसे या खाने-पीने के स्टॉल जैसे मुद्दे जनहित से जुड़े नहीं हैं? ऐसे मामलों का कांग्रेस द्वारा मजाक उड़ाना और उन्हें उपहास का विषय बनाना कितना उचित है? सत्यार्थ ने कहा कि कांग्रेस के कामकाज को जनता समझ चुकी है। इसलिए किसी भी चुनाव में मतदाता कांग्रेस को नजरअंदाज कर देते हैं। यही हालत रही तो आगे भी उसकी दशा बिगड़ती रहेगी। मिश्रा ने रवि किशन द्वारा संसद में उठाए गए मुद्दे की तारीफ की।

दरअसल, रवि किशन ने कहा कि जब कोई ग्राहक ढाबों या होटलों में खाना खाने के लिए जाता है तो उसको मेनू कार्ड के माध्यम से कीमत की तो जानकारी दी जाती है, किंतु इस बात की जानकारी नहीं दी जाती है कि एक प्लेट दाल या सब्जी या चावल में कितनी मात्रा होगी। बता दें कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) देश में खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा को नियंत्रित करने वाली एजेंसी है और खाद्य व्यवसायों के लिए एफएसएसएआइ लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है।

राजनीति के साथ-साथ रवि किशन का अभिनय का करियर भी पूरी रफ्तार में है। जल्द ही वह अजय देवगन की फिल्म ह्यसन आॅफ सरदार 2ह्ण में एक बेहद मनोरंजक और दमदार किरदार में नजर आएंगे। इससे पहले वे ह्यलापता लेडीजह्ण में अपनी हास्य भूमिका से दर्शकों का दिल जीत चुके हैं। आने वाले समय में वे ह्यधमाल 4ह्ण में भी धमाकेदार अंदाज में दिखाई देंगे। दिलचस्प ये है कि नेता और अभिनेता दोनों किरदारों में रवि किशन खुद को दुरुस्त रखने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

बहरहाल, उक्त मुद्दों के अलावा दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में रवि किशन को संसद रत्न का अवार्ड भी मिला है। जब उन्हें संसद रत्न का अवार्ड दिया गया तो लोग चौंके। यह समझ नहीं पा रहे थे आखिर रवि किशन ने क्या खास कर दिया कि उन्हें इस बड़े अवार्ड से नवाजा गया। अब पता चल रहा है कि सांसद रवि किशन की अनोखी अदाएं उन्हें सबसे अलग बनाती हैं। वे काम भले कम अथवा ज्यादा करें लेकिन उनका संबंध और संपर्क बेहद असरदार होता है। निश्चित रूप से उसका लाभ भी उन्हें मिलता है।

बताया गया कि रवि किशन ने संसद में युवाओं, रोजगार, पूर्वांचल विकास और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे मुद्दों पर लगातार आवाज उठाई है। उनकी उपस्थिति, सक्रियता और बहसों में प्रभावशाली भागीदारी ने उन्हें न सिर्फ अपने दल में बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी विशेष सम्मान दिलाया है। संसद रत्न पुरस्कार की शुरूआत 2010 में हुई थी और यह पुरस्कार उन सांसदों को दिए जाते हैं जो पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देने के लिए संसद में सक्रिय रहते हैं। इसका उद्देश्य सांसदों को प्रोत्साहित करना और जनता के बीच संसदीय कार्यवाही को लोकप्रिय बनाना है।

संसद के 17 सदस्यों को लोकसभा में उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए संसद रत्न सम्मान के लिए चुना गया था। चार सांसदों को विशेष जूरी अवॉर्ड के लिए भी चुना गया, जो लगातार तीन कार्यकालों में संसदीय लोकतंत्र में उनके निरंतर योगदान को मान्यता प्रदान करते हैं। ये पुरस्कार संसद में सक्रियता, बहस में भागीदारी, प्रश्न पूछने और विधायी कामकाज में योगदान के आधार पर प्राइम पॉइंट फाउंडेशन की तरफ से शुरू किया गया है। इस वर्ष के विजेताओं का चयन जूरी कमेटी ने किया, जिसकी अध्यक्षता हंसराज अहीर, (राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष) ने की।

स्पेशल जूरी अवॉर्ड के लिए चुने गए सांसदों में भर्तृहरि महताब (भाजपा, ओडिशा), एनके प्रेमचंद्रन (रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, केरल), सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी, महाराष्ट्र), और श्रीरंग अप्पा बार्ने (शिवसेना, महाराष्ट्र) को प्रदान किए गए हैं। इन सभी ने 16वीं लोकसभा के बाद से संसद में अपना शानदार प्रदर्शन बनाए रखा है। संसद रत्न सम्मान पाने वाले अन्य सांसदों में सुप्रिया सुले (राकांपा-शरद), रवि किशन (भाजपा), निशिकांत दुबे (भाजपा) और अरविंद सावंत (शिवसेना-उबाठा), स्मिता उदय वाघ (भाजपा), नरेश म्हस्के (शिवसेना), वर्षा गायकवाड़ (कांग्रेस), मेधा कुलकर्णी (भाजपा), प्रवीण पटेल (भाजपा), विद्युत बरन महतो (भाजपा) और दिलीप सैकिया (भाजपा) शामिल हैं।

संसदीय समिति श्रेणी में, भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली वित्त संबंधी स्थायी समिति, तथा डॉ. चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस) की अध्यक्षता वाली कृषि संबंधी स्थायी समिति को उनकी रिपोर्ट की गुणवत्ता तथा विधायी निगरानी में योगदान के लिए सम्मानित किया गया। ये अवार्ड एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा प्रदान किए गए। इस अवसर पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि यह पुरस्कार सांसदों के उत्कृष्ट प्रदर्शन को मान्यता देता है। उन्होंने यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी सांसदों को बधाई भी दी।

चूंकि बात रवि किशन की हो रही है, इसलिए संसद रत्न अवार्ड के मद्देनजर कहा जा सकता है कि देश के अनछुए पहलुओं पर चर्चा करना एक्सक्लूसिव बन जाता है। चूंकि रवि किशन समोसे जैसे मुद्दे ढूंढकर लाते हैं और खास बन जाते हैं। बहरहाल, देखना है कि रवि किशन की भविष्य की गतिविधि कैसी रहती है। अपने लोगों के बीच प्रिय बने रहने के लिए वे किस तरह के मुद्दे ढूंढकर लाते हैं। (लेखक आज समाज के संपादक हैं।) 

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