Dr. Mohan Bhagwat बोले – भारत का इतिहास केवल रिकॉर्ड नहीं, बल्कि ‘उचित-अनुचित की एक सीख है’

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Dr. Mohan Bhagwat बोले - भारत का इतिहास केवल रिकॉर्ड नहीं, बल्कि धर्म आधारित होना चाहिए-Dr. Mohan Bhagwat said - "The history of India is not just a record, but a lesson in right and wrong."-Aaj Samaaj
Dr. Mohan Bhagwat बोले - भारत का इतिहास केवल रिकॉर्ड नहीं, बल्कि धर्म आधारित होना चाहिए-Dr. Mohan Bhagwat said - "The history of India is not just a record, but a lesson in right and wrong."-Aaj Samaaj
  • अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तेरहवें राष्ट्रीय अधिवेशन का सेवा साधना केंद्र पर किया गया आयोजन

Dr. Mohan Bhagwat, (आज समाज), पानीपत : अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के द्वारा भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान के माधव सेवा न्यास केंद्र पट्टीकल्याणा समालखा पर आयोजित किए गए तीन दिवसीय अधिवेशन के अवसर भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान विषय पर सेमिनार  की आयोजन का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन मधुकर भागवत ने शिरकत की। उद्घाटन के समय डॉ. भागवत ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद द्वारा प्रदर्षित “जम्मू-कश्मीर-लद्दाख” पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी समारोह का उद्घाटन व अवलोकन भी किया।

डॉ. प्रशान्त गौरव ने मुख्य विषय के बारे में विस्तार से बताया

इस अवसर पर सेमिनार संयोजक डॉ. प्रशान्त गौरव ने मुख्य विषय के बारे में विस्तार से बताया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक, डॉ. मोहन मधुकर भागवत, विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृति मंत्री, भारत सरकार गजेन्द्र सिंह शेखावत, मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री अध्यक्ष आई.सी.एच. आर., शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार प्रो. रघुवेन्द्र तंवर, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के मुख्य संरक्षक गोपाल नारायण सिंह, राष्ट्रीय महा अधिवेशन की अध्यक्षता करने वाले और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवी प्रसाद सिंह, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. ईश्वरशरण विश्वकर्मा, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय सम्मिलित हुए।

समाज जिस नियम व कानून का अनुपालन करता था वह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही

उद्घाटन समारोह में डॉ. मोहन मधुकर भागवत ने अपना वक्तव्य देते हुए उपस्थिति काफी संख्या में आए हुए लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि “धर्म अर्थात सबकी धारणा करनेवाला, सबको सुख देने वाला होना चाहिए जो प्रकृति का नियम हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में जिस तरह से राजा धर्म के अनुसार शासन करता था। वह समाज को नियंत्रित करता था, क्योंकि वह मंत्रिपरिषद की सलाह मानता था, नीति ग्रंथों के अनुसार समाज जिस नियम व कानून का अनुपालन करता था वह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। दो भागवत ने कहा कि आज भी इसी से समाज का संचालन हो रहा है। अगर इतिहास संकलन समिति पुराने आख्यानों पर काम कर रहा है तो यह गर्व की बात है। अभी हमारे समाज को प्रस्तावना, कर्तव्य व समानता पर ध्यान रखना जरूरी है।

धर्म सबको जोड़कर सबको सुख देने वाला

डॉ मोहन भागवत ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि अगर संविधान की बात की जाए तो पहले देश है बाद में संविधान है। उन्होंने कहा कि सबको सुख देने वाला परस्पर व्यवहार करने वाला धर्म के आधार पर पीढ़ी दर पीढ़ी व्यवस्था बनाने वाला अगर है तो वह धर्म है क्योंकि धर्म सबको जोड़कर सबको सुख देने वाला है। उन्होंने कहा कि धर्म है तो इसलिए राजा व संविधान की जरूरत नहीं थी, क्योंकि पहले सभी लोग धर्म पर चलते थे जीवन ऐसा चले जिसमें सब का विकास हो उसी का नाम धर्म है उन्होंने वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का भी जिक्र करते हुए कहा कि रामायण में बताया गया है कि हम कैसे रहे कैसे चलें गलत चलने से हमारे समाज और राष्ट्र को क्या नुकसान होता है उन सभी बातों को लेकर उन्होंने बहुत अच्छे तरीके से लोगों को संबोधित किया।

इतिहास ही समाज का विकास करता

उन्होंने कहा कि धर्म सब के लिए सदा सर्वदा हितकारी है, उन्होंने अपने इतिहास विषय को लेकर भी बोलते हुए कहा कि इतिहास केवल रिकॉर्ड नहीं है। वह हमें उचित अनुचित सीखना है रामायण और महाभारत की बात की जाए तो रामायण और महाभारत एक इतिहास है और इतिहास ही समाज का विकास करता है उन्होंने अयोध्या मंदिर का भी जिक्र इसमें जोड़ा और कहा कि मंदिर तोड़े जाने से राष्ट्र का विकास नहीं होता, क्योंकि जब तक हमारे संस्कारों में से ऐसे शब्द नहीं निकलेंगे जिससे राष्ट्र का नुकसान ना हो तो विकास नहीं हो सकता।

इमरजेंसी के बाद प्रजातंत्र के रूप में भी देश किस तरह से आगे बढ़ रहा

उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ तो कुछ लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि स्वतंत्र देश होने के बाद यह देश कैसे चलेगा और यह तो 20 वर्षों में ही टूट जाएगा इस पर संकट की घड़ी आएंगे इमरजेंसी के बाद प्रजातंत्र के रूप में भी देश किस तरह से आगे बढ़ रहा है अपनेपन व सत्य के आधार पर हम सभी खड़े होकर देश को और धर्म को चलाने के इस यज्ञ में अपनी-अपनी आहुतियां डाल रहे हैं परेशानी वुखी समय में रुक-रुक कर चलना भारत है और यही हमारा संविधान है इतना ही नहीं अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा कि आज दुनिया को रास्ता दिखाने वाला भारत है और भारत की ओर दुनिया देख रही है कि भारत किस तरह से विकास और तरक्की की ओर अग्रसर है।

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