Charkhi Dadri News : परचिंतन पतन की जड़ है स्वचिंतन उन्नति की सीढ़ी : वसुधा बहन

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Thinking about others is the root of downfall, while thinking about oneself is the ladder to progress Vasudha Behan
कार्यक्रम में भाग लेती वसुधा बहन।

(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। परचिंतन पतन की जड़ है स्वचिंतन उन्नति की सीढ़ी है अगर हम व्यर्थ व परचिंतन को छोड़ स्वचिंतन व परमात्म चिंतन में अपना समय लगाएं तो हमारे आपसी संबंध मजबूत होंगे। राजयोग मेडिटेशन के बल से घर, परिवार व समाज को मानवीय मूल्यों में बांध हम एक स्वस्थ व सुखी परिवार, समाज बना सकते हैं। यह उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कादमा-झोझूकलां शाखा के तत्वावधान में विश्व परिवार दिवस पर वैश्विक एकता एवं विश्वास के लिए राजयोग विषय पर झोझूकलां व गोपालवास में सेवाकेंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए।

महिलाएं अपने अधिकारों का प्रयोग कर्तव्यों के साथ करें तो गृहस्थ जीवन सुखमय बन जाएगा

उन्होंने कहा कि मन को ज्ञान और शांति  के साथ सकारात्मक विचारों से संपन्न बनाना होगा  तभी परिवार को सुख, शांति व आनंदमय बना सकते हैं इसके लिए अपनी दिनचर्या में अध्यात्मिक व मानवीय मूल्यों को शामिल करें। वसुधा बहन ने कहा कि आध्यात्मिकता के द्वारा ही हम परिवार को एकजुट में बांध सकते हैं आध्यात्मिक मूल्यों से ही परिवार व समाज को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।झोझूकलां सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा  कि महिलाएं अपने अधिकारों का प्रयोग कर्तव्यों के साथ करें तो गृहस्थ जीवन सुखमय बन जाएगा। अपने घर को मंदिर की तरह से बनाएं अपने बच्चों को  सुसंस्कारित बना आने वाली पीढ़ी को दिव्य बना सकते हैं।  ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने कहा कि हम अपने घर का कार्य बोझ समझ कर न करें जिम्मेवारी से और खुशी से करें तो हमारा घर गृहस्थ में रहते हुए जीवन सुखी बन जाएगा।

उन्होंने कहा अगर हम अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना चाहते हैं तो हमें अपनी दैनिक दिनचर्या बोलचाल व्यवहार पर विशेष ध्यान देना होगा आपस में कभी भी अपशब्दों का प्रयोग ना करें एक दूसरे को सम्मान देते हुए चलें तो हमारे बच्चे भी वही गुण धारण करेंगे क्योंकि माता-पिता के आचरण व्यवहार का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। ब्रह्माकुमारी नीलम व रेखा बहन ने महिलाओं को कहा कि घर परिवार का हर कार्य ईश्वरीय स्मृति के साथ करें तो हमारे स्वयं के साथ-सथ आस पड़ोस में भी सकारात्मक परिवर्तन नजर आएंगे। तभी हम एक शांत और सुखी व स्वस्थ जीवन की कल्पना कर सकते हैं।