(Chandigarh News) चंडीगढ़। चंडीगढ़ स्थित गांव मलोया के 4 मंजिला मकानों में गंदे पानी की आपूर्ति को लेकर पंजाब राज्य और चंडीगढ़ (यूटी) मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए नगर निगम चंडीगढ़ के कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कमिश्नर से 27 जून से पहले इस मामले पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।
आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस संतो प्रकाश ने आदेश जारी करते हुए कहा कि “लोग गंदा पानी पीने को मजबूर, अफसर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रहे। चंडीगढ़ नगर निगम और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के रखरखाव की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल रहे हैं, जिससे मलोया के 4 हजार 960 स्मॉल फ्लैट्स में रहने वाले लोगों को गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
3 साल से विभागों में तालमेल नहीं
गांव मलोया के लोगों को पिछले एक महीने से गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है और इसकी शिकायतों के बावजूद नगर निगम कार्रवाई से बचता रहा है। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि पानी, सीवरेज और स्टॉर्म वाटर जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी 28 अक्टूबर 2022 को नगर निगम को सौंप दी गई थी।
जबकि निगम का कहना है कि उसने यह जिम्मेदारी अब तक नहीं ली है। इस विवाद के चलते पिछले 3 वर्षों से गांव मलोया क्षेत्र की जल आपूर्ति और सीवरेज व्यवस्था अधर में लटकी हुई है।
बीमार पड़ रहे लोग, उल्टी-दस्त की शिकायतें
चार मंजिला में रहने वाले विकास ने बताया कि काफी दिनों से गंदा पानी आ रहा है, जिससे बच्चे-बूढ़े बीमार हो रहे हैं। कई लोगों को दस्त, उल्टी जैसी दिक्कतें हो रही हैं। बावजूद इसके प्रशासन अब तक कोई समाधान नहीं निकाल पाया।