Chandigarh News: एंटी टास्क फोर्स ने डेरा बस्सी में लॉरेंस बिश्नोई के गरीबों का किया एनकाउंटर

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Chandigarh News: डेराबस्सी के गुलाबगढ़ में एजीटीएफ और लोकल पुलिस ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के एक गैंगस्टर सुमित बिश्नोई व उसके एक साथी को एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार किया है। दोनों तरफ से कुल दो फायर हुए जिसमें पुलिस गोली लगने से सुमित जख्मी हो गया। उसे डेराबस्सी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
उसके कब्जे से एक 32 बोर का रिवाल्वर भी बरामद हुआ है। वह बीती मई में राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में एक युवक की दिनदहाड़े हुई एक युवक की हत्या में शामिल था और पिछले महीने से यहां गुलाबगढ़ रोड पर एक पीजी में अपने दोस्त पंकज अली वासी सोनीपत के साथ छिपा हुआ था।
जानकारी देते हुए एसपी–डी सौरभ जिंदल ने बताया कि गुलाबगढ़ रोड पर विनीत प्रापर्टी कंसल्टेंट ऑफिस के ऊपर पहली मंजिल पर पीजी में सुमित बिश्नोई के छिपे होने की गुप्ता सूचना मिली थी। डीएसपी विक्रम बराड़ की अगुवाई में एजीटीएफ और डेराबस्सी पुलिस ने दोपहर को रेड। पुलिस पार्टी ने जब रेड की तो 24 वर्षीय सुमित बिश्नोई पुत्र रविंदर बिश्रोई ने पुलिस पर जाली वाले दरवाजे से फायकर किया परंतु पुलिस खुद को बचाने में सफल रही।
पुलिस की जवाबी फायरिंग में में एक गोली सुमित बिश्नोई की बाई टांग पर घुटने से नीचे लगी। उसके बाद उसे गिरफ्तार कर डेराबस्सी सिविल अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है जबकि पंकज अली वासी सोनीपत को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सुमित के कब्जे से मौके से .32 बोर का एक रिवाल्वर मिला है।
डीएसपी विक्रम बराड़ ने बताया कि राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगुवाला थाना क्षेत्र के गांव लखासर में बीती 18 मई को महावीर नामक युवक की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। सुमित बिश्नोई इस केस में वांछित था। बीती 23 जुलाई को वह पंकज अली के साथ डेराबस्सी के पीजी में रहने आया था।
वह यहां जाली आधार कार्ड बनाकर विशाल के नाम पर बतौर स्टूडेंट की पहचान से रह रहा था और पंकज के साथ एक योजनाबद्ध बड़े क्राइम को अंजाम देने की फिराक में था। दोनों के खिलाफ जानलेवा हमले के अलावा आर्म्स एक्ट का केस दर्ज किया गया है। दोनाें को बुधवार को डेराबस्सी कोर्ट में पेश किया जाएगा।
गोली लगने से जख्मी सुमित को डेराबस्सी सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचाने के बावजूद करीब आधे घंटे बाद ईलाज शुरु किया गया। इस दौरान सुमित इमरजेंसी में ही दर्द से कराहता रहा। मेडिकल टीम ने ईलाज शुरु करने से मेडिकल पर्ची बनवाने को कहा। इसके लिए खुद पुलिस को लाइन में लगना पड़ा।
प्रोटोकाल के मुताबिक चाहे पर्ची जरुरी है परंतु इमरजेंसी केस में फौरी ईलाज भी उतना ही जरुरी है। अगर ईलाज में इतनी देरी ही करनी थी तो अस्पताल से गई और लौटी एंबुलेंस को पूरे रास्ते जोरदार साइरन बजाते रहने की भी क्या जरुरत थी।